
जीनेरिक दवाइयां गरीबों को क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है, इसे लेकर झारखण्ड मानवाधिकार सम्मलेन की एक बैठक भुइयांडीह मे अध्यक्ष मनोज मिश्रा की अध्यक्षता मे संपन्न हुई | बैठक मे उपस्थित सभी ने माना कि चिकित्सकों के द्वारा गरीब मरीजों को जीनेरिक दवाइया नहीं लिखी जाती है, बल्कि ब्रांडेड कंपनी की दवा लिखी जाती है, इसके पीछे बड़ी कंपनियों से उन्हे मिलने वाली अनैतिक लाभ हो सकते है | बैठक की अध्यक्षता करते हुए मनोज मिश्रा ने बताया कि बड़ी कंपनियों की एक रैकेट सक्रिय है, जो जीनेरिक दवाइयों की दुश्मन बनी हुई है l
उन्होने कहा कि सरकार भी इस दिशा मे उदासीन है, जिस कारण प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र या तो खुल नहीं रहें है या खुले हुए तेजी से बंद हो रहें है l क्यूंकि इसके सेल मे मुनाफा भी ब्रांडेड के मुकाबले काफ़ी कम है, साथ ही जीनेरिक दवाओं की उपलब्धता भी सवालों मे है, खुले हुए केंदो मे दवाइयों की आपूर्ति भी सही नहीं है, जिससे मरीजों को औऱ दुकानदारों को मुश्किले आ रहीं है |
लोगो मे जागरूकता की भी भारी कमी
वही दूसरी ओर लोगो मे जागरूकता की भी भारी कमी है, ऐसी मानसिकता बन गयी है कि ब्रांडेड दवाइयों से जीनेरिक दवाइया अच्छी नहीं होती है | मानवाधिकार सम्मलेन ने इसे लेकर दिनांक 29 मार्च को डीसी को एक ज्ञापन देकर पुरे जिले मे जन औषधि केंद्र खोलने एवं इसके प्रचार प्रसार को लेकर अभियान चलाने की मांग करेगा | आज की बैठक मे मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, इंद्रजीत सेन गुप्ता, ऋषि कुमार, राजू कुमार सहित काफ़ी संख्या मे सदस्य उपस्थित थे |
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