
कोरोना से बचाव के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन अब यह पर्यावरण के लिए खतरा भी बनता जा रहा है। एक शोध से यह पता चला है कि डिस्पोजेबल मास्क प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। शोध में बताया गया है कि जहां-तहां डिस्पोजेबल मास्क फेंकने से कूड़े में 9000 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है।
हाल में किए गए शोध में यह अनुमान लगाया गया है कि पूरे विश्व में हर महीने तकरीबन 129 अरब फेस मास्कों का उपयोग किया जाता है। उनमें से ज्यादातर प्लास्टिक माइक्रोफाइबर से बने डिस्पोजेबल फेस मास्क हैं, जिसे लोग एक दिन इस्तेमाल करके फेंक देते हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार आने वाले दिनों में लगभग 75 फीसदी उपयोग किए गए मास्क और अन्य डिस्पोजेबल किट या तो मिट्टी में मिल जाएंगे या दुनिया के महासागरों और समुद्रों में मिल जाएंगे। यह निकट भविष्य में एक और बड़े संकट को उत्पन्न कर सकता है।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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