सबसे पहले कुष्ठ रोग दिवस फ्रांस के समाजसेवी राउल फोलेरो द्वारा साल 1954 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य कुष्ठ रोग के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना था। कुष्ठ रोग को हेन्संस रोग भी कहा जाता है। कुष्ठ रोग माइक्रोवेक्टीरियमलैप्री नामक जीवाणु की वजह से होता है।
इस साल गैर सरकारी सामाजिक संस्था आत्म स्वाभिमान ने जिले में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के बीच सेवा भाव से कार्य करने का आह्वान किया है. 18 जनवरी को गांधी सेवा सदन में प्रेस वार्ता में संस्था संस्था के संस्थापक शैलेंद्र प्रसाद साहू ने 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस समारोह के पहले जागरुकता अभियान चलाने का एलान किया.
प्रेस वार्ता में कहा गया कि कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों से जुड़े कलंक और भेदभाव को समाज के लोग मिल-जुलकर दूर करें.
उन्होंने कहा कुष्ठ रोग इलाज योग्य है और जल्द ही पता लगने से विकलांगता और बीमारी के प्रसार को रोकता है. इसमें भेदभाव और कलंक के लिए कोई जगह नहीं है. कहा कि शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से व्यक्ति और समुदा के जीवन को प्रभावित करते हुए कुष्ठ रोग की आशंका बनी हुई है. इसलिए इसे विश्व स्तर पर पहचान कर नियमित, दीर्घकालिक देखभाल की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि धनबाद की 20 कॉलोनियों सहित 4 जिलों की 32 कुष्ठ कॉलोनियों में प्रभावित 2000 से अधिक लोगों, परिवार के सदस्यों, मित्रों और शुभचिंतकों के साथ विश्व कुष्ठ दिवस में सहभागी होने की जरूरत है.
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