
बांदना झारखंड का प्राकृतिक पर्व है
सरायकेला प्रखण्ड अंतर्गत महालिमोरूप व आस पास के गांवों में लोगों ने हर्षोल्लास के साथ प्रकाशोत्सव दीपावली का त्योहार मनाया । यहां के लोगों ने अपने घरों की साफ सफाई और सजावट के साथ साथ रंग रंगाई भी की। दीयों और बिजली के रंग बिरंगे लाइटों से घरों को जगमगाया गया । महिलाओं ने रंगोली बनाकर अपने घर के आंगन को सजाया ,जबकि बच्चों ने पटाखे फोड़कर खूब मस्ती की ।
लोगों ने अपने घरों में विभिन्न व्यंजन बनाए और उसका लुप्त उठाया। यहां के किसानों ने दीवाली को बंदना पर्व के रूप में मनाया l यह झारखंड का प्राकृतिक पर्व है। इस पर्व के दौरान किसान कृषि यंत्रों की पूजा की और पशुधन गाय-बैल आदि को धान का मुकुट पहनाकर आरती की। इसके साथ साथ किसानों ने मादर की थाप पर गाय बैल को नचाने का प्रयास किया, जो खतरों से खाली नहीं रहा। इस त्यौहार में सभी समुदाय के बच्चे से लेकर बड़े लोगों ने मनोरंजन किया।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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