सर्व पितृ अमावस्या पर स्वर्ण रेखा नदी के घाट पर उमड़ी लोगों की भीड़ ने अपने पूर्वजों के लिए एक अद्वितीय तर्पण का आयोजन किया। आज आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या है, और यह दिन पितृ पक्ष के समापन का भी है। कल से देवी पक्ष यानी दशहरा की शुरुआत होगी।
पितृपक्ष में लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण करते हैं, इसे मान्यता में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मान्यता भी है कि वे पुत्र जिन्हें अपने पिता के मौत के तिथि का ज्ञान नहीं है, वे आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर पितरों को तर्पण कर उनकी मुक्ति की कामना करते हैं।
पितृपक्ष के दौरान मान्यता के अनुसार पितरों की आत्मा बैकुंठ लोक से पृथ्वी पर आती है, ताकि उनके वंशज उन्हें तर्पण करके मुक्ति दे सकें। विद्वानों के अनुसार पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में तर्पण अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पितरों की कृपा से ही कुल आगे बढ़ सकता है।
जमशेदपुर के स्वर्ण रेखा नदी के तट पर भी अमावस्या तिथि के मौके पर सैकड़ों लोगों ने अपने पूर्वजों के तर्पण का आयोजन किया, जो एक महत्वपूर्ण परंपरा का हिस्सा है।
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