
सरहुल एक पारंपरिक त्योहार, जो प्रकृति और जीवन की नव चेतना का प्रतीक है
बालिगुमा सुखाना बस्ती और भीम नगर में आज सरहुल पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गाँव के लाया शरत महतो ने गाँव का सुख समृद्धि और शांति की कामना की। पूजा की शुरुआत सुबह साल वृक्ष के फूल (सलोई फुल) लाकर पूरे गाँव में घर-घर में बांटने से हुई। इसके बाद जाहेर थान में पूजा की गई।
सरहुल पूजा एक पारंपरिक त्योहार है, जो प्रकृति और जीवन की नव चेतना का प्रतीक है। इस अवसर पर गाँव के लोगों ने एकत्रित होकर अपने पूर्वजों और प्रकृति की पूजा की और सुख समृद्धि की कामना की।
गाँव के लोगों ने इस अवसर पर पारंपरिक नृत्य और संगीत का भी आनंद लिया। सरहुल पूजा के आयोजन से गाँव के लोगों में एकता और सौहार्द की भावना बढ़ी है।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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