
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली..
सैकड़ों भगत बना जाएंगे मरते-मरते..
जमशेदपुर, 23 मार्च : नादर्न टाउन में कल रविवार को शहीद-ए-आजम भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु और कवि अवतार सिंह पाश के शहादत दिवस के अवसर पर इप्टा द्वारा एक आयोजन किया गया। इस अवसर पर लिटिल इप्टा की वर्षा, सुजल, नम्रता, सुरभी, दिव्या, गुंजन, काठ्या, अभिषेक नाग, अनन्या, श्रवण, आयुषी ने चकबस्त ब्रजनारायण की ग़ज़ल, जो भगतसिंह को बहुत प्रिय थी, उसको गाकर सुनाया- हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली, ये मुश्ते-खाक है फानी, रहे न रहे। बाल कलाकारों ने भगत सिंह की शहादत के बाद लिखी गई कुछ अन्य गजलों को भी सुनाया। उन्होंने गाया – सैकड़ों भगत बना जाएंगे मरते-मरते ।
संजय सोलोमन ने भगतसिंह के जीवन-प्रसंगों को कथात्मक अंदाज में वर्णन करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने कहा कि भगत सिंह और उनके साथियों ने अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक रुढ़ियों से मुक्ति के लिए भी संघर्ष-किया।
सत्यम ने क्रांतिकारियों के संगठन हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशिएशन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने जानकारी दी कि जमशेदपुर में भी एचएसआरए की शाखा थी।
सुजल ने क्रांति के संदर्भ में भगतसिंह के विचारों को सुनाया। बाल कलाकारों ने समवेत स्वर में भगत सिंह की जीवन कथा सुनायी। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें दूध पीना, फिल्म देखना और पहलवानी करना तथा देश से प्रेम करना पसंद था। सुधीर सुमन ने अवतार सिंह पाश की कविता- 23 मार्च, भारत और प्रतिबद्धता का पाठ करते हुए कहा कि उन्होंने भगतसिंह और उनके साथियों के क्रांतिकारी संघर्षों और विचारों की परंपरा को विकसित किया।
भगतसिंह क्रांतिकारी आंदोलन का मस्तिष्क थे – सुधीर सुमन
उन्होंने कहा कि भगतसिंह क्रांतिकारी आंदोलन का मस्तिष्क थे। राजगुरु कुशल निशानेबाज थे। सुखदेव बेहतरीन संगठक थे। ब्रिटिश हुकूमत ने क्रांति की संभावना को खत्म करने के लिए इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ा दिया, लेकिन वे भारत को स्वतंत्र होने से नहीं रोक सके। आज साम्राज्यवादी शोषण, सांप्रदायिकता, आर्थिक-सामाजिक विषमता उन्माद और नफरत के खिलाफ भारतीय जन राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए जिस साझा संघर्ष की जरूरत है, भगत सिंह और उनके साथी उसके वैचारिक सहयोगी हैं। पाश ही नहीं, फैज़, नागार्जुन, प्रेमचंद- सब पर उनका गहरा वैचारिक प्रभाव है। इस अवसर पर एस. वी. रमण ने फैज की नज़्म- ‘कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हाथ में तेरा हाथ नहीं’ सुनाया।
कार्यक्रम में शशि कुमार, शैलेंद्र अस्थाना, वरुण प्रभात, ज्योत्सना अस्थाना, सुजीत कुमार, अंजना, विनय कुमार, श्वेता, सोनल सिंह, प्रशांत, प्रियांशी और सहेंद्र भी मौजूद थे।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp
Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp
Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!