दुर्गा पूजा को लेकर जहां पूरे देश में तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं झारखंड में भी दुर्गा पूजा को लेकर जगह-जगह पंडाल बनाए जा रहे हैं।नटराज की धरती कही जाने वाले देवघर के कण-कण में कला का वास है इसलिए यहां की तैयारियों का अपना विशेष महत्व है।सीनियर फैलोशिप मूर्तिकार मारकंडे जजवाड़े ने अबकी बार देवघर में दुर्गा पूजा को भैव्य तरीके से बनाने का बीड़ा उठाया है।
मारकंडे जज्वाड़े लगभग 12000 न्यूजपेपरों के पन्नों से देवी दुर्गा का पंडाल सजा रहे हैं।उनके साथ इस काम में उनकी 8 से 10 टीम पिछले 25 दिन से लगातार सहयोग कर रही हैं।नटराज की धरती देवघर के कण कण में कला का वास है, यहीं कारण है कि यहां की कला को ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी ख्याति मिली हुई है।
देवघर के वासी मारकंडे जजवाड़े एक ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें भारत सरकार के द्वारा सीनियर फैलोशिप मूर्तिकार अवार्ड मिला है।इनकी कई मूर्तिकला देश में ही नहीं ब्लकि विदेशों में भी लोगों को खूब भाती हैं।विश्व प्रसिद्ध शिवरात्रि महोत्सव में भी वो अपनी कला से लाखों लोगों का दिल जीते हैं।दुर्गा पूजा नजदीक है ऐसे में हर एक जगह बांस बल्ले से बड़े-बड़े पंडाल बनाए जा रहे हैं।
जिसमें मां भगवती की प्रतिमा विराजमान की जाएगी, वहीं मार्कंडेय जज्वाड़े कुछ ऐसी चीजों से पंडाल बना रहे हैं जो आप रद्दी समझ कर फेंक देते हैं।जज्वाड़े लगभग 12000 न्यूजपेपरों के पन्नों से देवी दुर्गा का पंडाल बना रहे हैं।जो बेहद आकर्षक और खूबसूरत दिख रहा है।ये पंडाल एको फ्रेंडली भी है।यहां हर साल एक नई थीम के साथ देवघर के सेंट्रल प्लाजा मॉल में पंडाल बनाते हैं,इस वर्ष न्यूज़पेपर से इको फ्रेंडली पंडाल बनाए हैं।
मारकंडे जजवाड़े ने बताया कि जिस न्यूजपेपर में आप तरह-तरह की न्यूज़ को जानते हैं और उसके बाद उसे रद्दी में डाल देते हैं।उसको एक रूप देकर नए सिरे से पंडाल बनाने का कार्य किया जा रहा है जो लोगों को बेहद पसंद आ रहा है।उन्होंने आगे बताया कि लोग यहां पहुंच कर सेल्फी ले रहे हैं।
इस पंडाल को बनाने में उन के साथ उनकी 8 से 10 टीम 22 ने 25 दिनों में पंडाल को तैयार किया है।टीम का हिस्सा छात्र साकेत कुमार बताते हैं कि जब उनकी मेहनत को देख आम लोग सेल्फी ले रहे हैं और प्रशंसा कर रहे हैं ।तो उन्हें लगता है कि उनके मेहनत काफी सार्थक हुई।
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