कला संस्कृति मंच, चांडिल द्वारा इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का किया गया सफल आयोजन
झारखण्ड की संस्कृति बहुत ही अनूठी है. यहां कई पर्व-त्यौहार बड़े ही अनोखे ढंग से मनाए जाते हैं. करम परब उन्हीं में से एक है.
चांडिल डैम कॉलोनी, घोड़ानेगी में 4 सितम्बर सोमवार को करम महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें इस त्यौहार की जीवंत झलक देखी गई. कला संस्कृति मंच, चांडिल द्वारा क्षेत्र में पहली बार आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से आए हुए कला दलों ने करम नाच प्रस्तुत किया, जिसकी प्रतियोगिता भी हुई. पूरे पारंपरिक रीति-रिवाज का निर्वहण करते हुए पहले करम डाली स्थापित कर किशोरियों ने पूजा का नेग संपन्न किया. करम डाली के मूल में गोबर लिपा गया,..रंगोली सजाई गई,..दीये जलाए गए और करम डाली की परिक्रमा कर पूजा संपन्न किया गया उसके बाद किशोरियों ने फिर नाचते और गाते हुए ढाई परिक्रमा की.
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ वहां रखे गए महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ. कई गणमान्य लोगों ने उन्हें नमन किया. इस अवसर पर मैदान में लोगों की अच्छी-ख़ासी भीड़ जुटी. लोगों ने इस सांस्कृतिक आयोजन का लुत्फ़ उठाया.
क्यों करम परब इस दिन मानना चाहिए ?
यूँ तो आम तौर पर बांग्ला कैलेण्डर के आश्विन महीने की एकदशी तिथि, जिसे पार्श्व एकादशी भी कहा जाता है, करम परब मनाया जाता रहा है, लेकिन इस विषय पर लंबे समय से शोध कर रहे धनबाद क्षेत्र के सारियान काडूआर ने एक अलग और अनूठी मान्यता के बारे में जानकारी देते हुए बताया, कि क्यों करम परब इस दिन मानना चाहिए.
करम नाच प्रतियोगिता
करम नाच प्रतियोगिता में कई कला दलों ने हिस्सा लिया, जिनमें से तीन दलों को अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया. प्रथम पुरस्कार के रूप में 11111 रुपए मिले मां शक्ति करम दल, चयनपुर (पुरुलिया), द्वितीय पुरस्कार के रूप में 7777 रुपए न्यू झारखण्ड कला सांस्कृतिक मंच, बीनाहाथी खूंटी (रांची) और तृतीय पुरस्कार के रूप में 5555 रुपए मिले GBP मिलन आखड़ा, गोपालपुर (पुरुलिया) को. अतिथियों के हाथों ये पुरस्कार दिए गए.
Kudmali calendar : 13 महीनों के कुड़मालि कैलेंड | Mashal News
मत-भिन्नता के बावजूद उसकी मौलिकता और उसका सन्देश एक
किसी पर्व-त्यौहार को लेकर मत-भिन्नता के बावजूद उसकी मौलिकता और उसका सन्देश एक ही होता है. करम परब के इतिहास और इसकी प्रचलित लोक कथाओं को सहेजने की आवश्यकता के मद्देनज़र इस प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए.
इस अवसर पर विशेष रूप से सारियान काडूआर के अलावे प्रख्यात झूमइर गाहक भोलानाथ महतो व वरिष्ठ कुड़माली कवि उपेन बांसरियार निर्णायक की भूमिका में थे. कई गण्यमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही इस महोत्सव के दौरान, जिनमें दिलीप काडूआर, खगेन महतो आदि प्रमुख थे.
इस आयोजन को सफल बनाने में कला संस्कृति मंच के देवाशीष महतो समेत तमाम सदस्य शामिल्र रहे.
झारखंड :बिना इंजन के अचानक चल पड़ी ट्रेन, जिसने भी देखा हो गया हैरान
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!