
यह संस्कृति झारखंड के अलावे अन्य राज्यों में भी दिखाई पड़ती है
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के विभागीय सभागार में दिनांक 11 जनवरी (शनिवार) को विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील मुर्मू की अध्यक्षता में टुसू मिलन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जागर दीया जलाकर (द्वीप प्रज्वलन), कोल्हान विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. परशुराम सियाल एवं मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ.तपन कुमार खाँड़ा ने किया।
समारोह में उपस्थित लोगों का स्वागत गीत के माध्यम से कुड़माली भाषा के छात्राओं ने किया. तत्पश्चात् विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार मुर्मू ने सभी अतिथियों का स्वागत अपने संबोधन से किया साथ-साथ जनजातियों का प्रतीक पीला गमछा देकर सम्मानित किया। टुसू मिलन समारोह का महत्व एवं उद्देश्य को विभागीय प्राध्यापक प्रो. सुभाष चंद्र महतो ने अपने संबोधन में किया। अपने संबोधन में कुलसचिव डॉ. परशुराम सियाल ने कहा टुसू परब की एक अलग संस्कृति है, जो झारखंड के अलावे अन्य राज्यों में भी दिखाई पड़ती है। संस्कृति के विकास से समाज व राज्य का भी विकास होता है।
इस तरह के कार्यक्रम से सामूहिकता एवं सद्भावना बढ़ती है – डॉ. परशुराम सियाल
श्री सियाल ने TRL विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से सामूहिकता एवं सद्भावना बढ़ती है। मानविकी डीन, डॉ. तपन कुमार खाँड़ा ने अपने संबोधन कहा टुसू महा परब प्रकृति एवं मानव के मिलन का परब है। यह कृषि पर आधारित है। उन्होंने TRL विभाग की काफी प्रशंसा किये। समारोह को इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह ने भी संबोधित किया. उन्होंने संस्कृति बनाए रखने पर बल दिया। अंत में अध्यक्षीय संबोधन विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील मुर्मू में टुसू परब के बारे में अपने मंतव्य साझा किया और विस्तार पूर्वक इस परब पर प्रकाश डाला।
कुड़मालि भाषा के विद्यार्थियों ने कई रंगारंग टुसु गीत एवं नृत्य प्रस्तुत किये
समारोह में कुड़मालि भाषा के विद्यार्थियों ने कई रंगारंग टुसु गीत एवं नृत्य प्रस्तुत किये। मंच का संचालन प्रो. निशोन हेंब्रम ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. भारती कुमारी, डॉ. बसन्त चाकी, डॉ.पास्कल बैक, डॉ. सुनीता कुमारी, डॉ. कंचन कुमार, प्रो. दानगी सोरेन, प्रो. गुरु प्रसाद महतो, प्रो. मनसा महतो, शिक्षण सहायक धनुराम मार्डी, बीना कुमारी महतो, गोनो,आल्डा विभिन्न विभाग के प्राध्यापक एवं काफी सारे विद्यार्थी उपस्थित हुए।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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