हमसे प्रकृति नहीं बल्कि प्रकृति से हम हैं-प्रो. दानगी सोरेन
कोल्हान विश्वविद्यालय के कला साहित्य एवं संस्कृति मंच की ओर से बुधवार को कोल्हान विश्वविद्यालय के ब्लॉक सी के गैलरी संख्या छह में सरहूल विषयक सांस्कृतिक समारोह का भव्य आयोजन हुआ। इसमें कोल्हान विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राओं ने कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रिया सोरेन एवं देबू टुडू के द्वारा प्रस्तुत संताली परम्परा के मंगलाचरण नेहोर से हुआ। तत्पश्चात् अतिथियों के द्वारा तुलसी के पौधे पर जल अर्पण किया गया ।
सरहूल क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
कार्यक्रम की संयोजिका स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर दानगी सोरेन ने स्वागत उद्बोधन में कहा, “हमसे प्रकृति नहीं बल्कि प्रकृति से हम हैं।” उन्होंने बताया कि प्रकृति के प्रति विद्यार्थियों में प्रेम और सम्मान की भावना जागृत करना ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। स्नातकोत्तर दर्शन शास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनीता कच्छप ने सरहूल क्यों और कैसे मनाया जाता है , इसका महत्त्व क्या है, इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
छात्र-छात्राओं ने भारत की अनेकता में एकता विषय को विभिन्न परिधानों में रैम्प वॉक किया
कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने भारत की अनेकता में एकता विषय को विभिन्न परिधानों में रैम्प वॉक के द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी। इसमें ‘हो ‘ संस्कृति को विवेक और अमीषा के द्वारा , ‘उरांव’ संस्कृति को नूतन और सिकंदर के द्वारा, कुरमाली संस्कृति को प्रीति और बुधन के द्वारा, संथाली संस्कृति को प्रियंका और देबू के द्वारा और मुंडा संस्कृति को तीसिर और मनोज के द्वारा मनमोहक तरीके से प्रदर्शित किया गया। उपस्थित शिक्षक वृंद ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन को खूब सराहा।
इस अवसर पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर संतोष कुमार, राजनीति शास्त्र के डॉ परशुराम सियाल, अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. सुहिता चटर्जी, एमएड के प्राध्यापक डॉ. मनोज कुमार , आई क्यूएसी को-ऑर्डिनेटर डॉ. संजय गोराई, , डॉ. लक्ष्मी आल्डा, संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिन्हा, भौतिकी के डॉ. सोमनाथ कर, डॉ. मगूनी महाकुड़ , आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सेरेना पूर्ती एवं नितीश साहू ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. पास्कल बैग ने किया। इस कार्यक्रम का संयोजन स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय यादव एवं स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका प्रोफ़ेसर दानगी सोरेन ने किया ।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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