रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है और युद्ध के करीब 12 दिन होने के बाद भी रूस यूक्रेन पर हमलावर है l वहीं, यूक्रेन भी रूस का जवाब देने की कोशिश कर रहा है l खबरें आ रही हैं कि यूक्रेन ने रशियन आर्मी पर गुरिल्ला स्टाइल में अटैक किया है l इस गुरिल्ला वॉर में यूक्रेन ने रशियन आर्मी के काफिले पर कई गोलियां चलाईं और सेना के काफिले को गोलियों से भून दिया l यूक्रेन के सैनिकों ने इस गुरिल्ला वॉर का एक वीडियो भी बनाया है l इस खबर के बाद से कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये गुरिल्ला वॉर क्या है l
लोगों के सवाल है कि आखिर गुरिल्ला वॉर कैसे लड़ी जाती है और इसमें कोई सेना दूसरी सेना पर किस तरह से अटैक करती है, जिस वजह से इस गुरिल्ला वॉर कहा जाता है l तो आज हम आपको बताते हैं गुरिल्ला वॉर से जुड़ी हर एक बात…
क्या है गुरिल्ला वॉर?
गुरिल्ला अटैक या वॉर को छापामार युद्ध प्रणाली भी कहा जाता है l वैसे कहा जाता है कि गुरिल्ला या गेरिल्ला स्पैनिश शब्द गेरा (युद्ध) से आया है l इस शब्द का इस्तेमाल 19वीं शताब्दी से बढ़ा जब नेपोलियन के खिलाफ स्पेन और पुर्तगाली लोग गुरिल्ला युद्ध कर रहे थे l यह एक तरीके से छुपकर लड़ा जाने वाला युद्ध है, जिसमें एक सेना दूसरी सेना पर छुपकर हमला करती है और वहां से भाग जाती है l इस तरह के वॉर में कई बार सैनिक या लड़ाके आम लोगों की तरह जनता के बीच रहते हैं और मौका लगते ही दुश्मन सेना पर हमला कर देते हैं l आतंकवादी अक्सर गुरिल्ला अटैक के जरिए ही सेना, पुलिस या आम आदमियों को निशाना बनाते हैं l
सीधे शब्दों में कहें तो गुरिल्ला वॉर में सैनिकों की छोटी -छोटी टुकड़ियां अपने हथियारों के साथ छुपी हुई रहती हैं और दुश्मन के पास आते ही अचानक निकलकर तेजी के साथ हमला कर वापस लौट जाती हैं l इस हमले की खास बात आश्चर्य, छुपाव, और तेज गति से आक्रमण है l इसका लाभ यह है कि कम सैनिक दुश्मन का अधिक नुकसान कर सकते हैं, जिससे दुश्मन की योजना को विफल किया जा सकता है l इसमें रेट ऑफ कैजुअल्टी काफी कम होती है l ऐसे में यूक्रेन भी कम संसाधनों के साथ इस वॉर का सहारा लेकर रशियन आर्मी को नुकसान पहुंचा रही है l
अमेरिका की सेना भी हो गई थी परेशान
अगर इस युद्ध के इतिहास की बात करें तो भारत में और विश्व में लंबे वक्त से इस तरह की लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं l इतिहास में शिवजी की छापामार शैली भी प्रसिद्ध है l इसके अलावा कई छोटे देश या कमजोर आर्मी ने इसके जरिए मजबूत आर्मी के लोगों को भी परेशान कर दिया है l यहां तक कि अमेरिका जैसे देश की सेना को भी गुरिल्ला युद्ध से मुश्किल का सामना करना पड़ा है l बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वियतनाम युद्ध में उत्तरी वियतनाम सरकार ने वियत-कोंग नाम की एक कम्युनिस्ट गुरिल्ला बल की स्थापना की थी l
इसकी साम्यवादी विचारधारा और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता अमेरिकी सैनिकों पर भारी पड़ी क्योंकि अमेरिकी सैनिक अक्सर आश्चर्य करते थे कि वो अपने देश से हज़ारों किलोमीटर दूर किसके लिए जंग लड़ रहे हैं l मौत की परवाह न करने और अपनी विचारधारा के लिए जान देने वाला घातक गुरिल्ला बल आख़िरकार अमेरिकियों को भगाने में कामयाब रहा l
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