जैसा कि हम सब जानते है कि कोरोना महामारी में आम से लेकर खास कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। सरकार ने बड़े पैमाने पर शहर से लेकर गांवों तक टीकाकरण अभियान चला रखा है। लेकिन समाज का एक ऐसा भी वर्ग है, जो सड़के के किनारे, मंदिर और मस्जिद के बाहर, स्टेशन या फुटपाथ पर जीवन बसर करता है।
जनगणना रिपोर्ट के अनुसार
बोलचाल की भाषा में इन्हें भिखारी कहते हैं।अभी तक इन लोगों को न तो सरकार और न ही स्वयंसेवी संगठन ने टीका दिलाने की कोई पहल की है। 2011 की जनगणना रिपोर्ट अनुसार देश में कुल 3.72 लाख भिखारी हैं।
झारखंड में लगभग 20000 भिखारी
झारखंड में लगभग 20000 भिखारी हैं। अगर 2022 की बात करें, तो भिखारियों की संख्या 39 हजार से अधिक होगी. टाटानगर जंक्शन के बाहर बैठे कुछ भिखारियों का समूह बैठे ने बताया कि उन्हें कोरोना टीका के के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
बिना फोटो पहचान पत्र के कैसे लगेगा टीका
इस तबके के लोगों का कहना है कि बिना फोटो पहचान पत्र के टीकाकरण कैसे होगा।ऐसे समूहों में खानाबदोश (विभिन्न धर्मों के साधु/संत सहित), वृद्धाश्रम के लोग, भिखारी, पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोग शामिल हैं। ऐसे सभी लोगों को टीका कैसे लगाया जायेगा, जिनके पास निर्धारित फोटो पहचान पत्र नहीं है। ये अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। और ये सरकार की कमियों को भी दर्शाता है।
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