देवघर में रोपवे में हुए हादसे में अभी तक 35 से 40 लोग फंसे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, अब तक 15 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो चुकी है. घटना रविवार शाम की है. कुल 48 लोगों के फंसने की जानकारी आई थी. पर्यटक करीब 20 घंटे से फंसे हैं. जो पर्यटक फंसे हैं वो बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के हैं. जिस रोपवे में हादसा हुआ, आइए जानते हैं उसका पूरा गुणा गणित.
ये रोपवे की खास बातें
ये रोपवे त्रिकुट पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर है. ये चोटी समुद्र तल से 2470 फीट ऊपर देवघर शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है, जो कि देवघर-दुमका रोड पर मोहनपुर ब्लॉक में आती है. रोप वे की सतह से ऊंचाई लगभग 1500 फीट की है. त्रिकुट पर्वत की तलहटी मयूराक्षी नदी से घिरी हुई है. रोप वे की लंबाई लगभग 766 मीटर (2512 फीट) है. त्रिकुट रोप वे में पर्यटकों के लिए कुल 26 केबिन हैं. चोटी तक पहुंचने के लिए केवल 8 से 10 मिनट लगते हैं. रोप वे से जाने के लिए 130 रुपये खर्च करने होते हैं.
झारखंड का एकमात्र रोपवे
ये झारखंड का यह एक मात्र रोप वे है. यह सतह से 800 मीटर की उंचाई पर है. रोप वे का समय नियमित रूप से सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होता है. इसे भारत के सबसे ऊंचे केबल कार के तौर पर जाना जाता है. राज्य सरकार के विशेष अनुरोध पर इंडियन एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर द्वारा फंसे यात्रियों के सकुशल वापसी कराई जा रही है. हेलीकॉप्टर के माध्यम से सभी फंसे पर्यटकों को सकुशल ट्रॉली से नीचे उतारने की कोशिश है.
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