न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया है कि देश में अब गणतंत्र दिवस के जश्न की शुरुआत 24 जनवरी की जगह 23 जनवरी से होगी। बताया गया है कि सरकार ने यह कदम सुभाष चंद्र बोस की जयंती को भी गणतंत्र दिवस के जश्न में शामिल करने के लिए उठाया है।
नेताजी का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को हुआ था
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था l उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था l जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे l पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी l बोस ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी l इन्होंने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की थी l साल 1919 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गए थे l
सुभाष चंद्र बोस हिन्दुस्तान के स्वाभिमान का प्रतीक बन गए थे l एक तरफ आईसीएस जैसी कठिन परीक्षा में सफल होने का हुनर था, तो दूसरी तरफ प्रतिष्ठित पद को ठुकराने का साहस भी था l
क्या था नेताजी का झारखण्ड से रिश्ता…
सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर बात करने लगेंगे तो कागज के पन्ने कम पड़ जाएंगे, आज हम बात करेंगे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के झारखंड कनेक्शन की, झारखंड यानी कि उस वक्त का अविभाजित बिहार l
1939 में गुजरात के हरिपुरा में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था, जिसमें सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष चुने गए थे l इसके बाद 1940 के त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में भी वे कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, हालांकि गांधी जी से वैचारिक मतभेद के बाद परिस्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया l
पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड के कालिकापुर में 5 दिसंबर 1939 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस आए थे l बताया जाता है कि गांववालों ने जब इलाके के चरित्रहीन दारोगा के खिलाफ आवाज उठाई तो कई गांववालों पर फर्जी मुकदमा लाद दिया गया l इसके बाद गांव में नेताजी के कदम पड़े l गांववालों ने आज भी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी स्मृतियों को संजोकर रखा है l
1940 में नेताजी खूंटी होते हुए रांची पहुंचे थे और फिर रामगढ़
इसके बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस झारखंड तब आए जब ऐतिहासिक रामगढ़ अधिवेशन हो रहा था l 1940 में नेताजी खूंटी होते हुए रांची पहुंचे थे और फिर रामगढ़ गए थे l लालपुर में वे स्वाधीनता सेनानी फणींद्रनाथ के घर रूके थे l फणींद्रनाथ के परिवार ने भी नेताजी से जुड़ी निशानियों को सहेज कर रखा है l
झारखंड से सुभाष चंद्र बोस का रिश्ता इतना गहरा है कि जब वे देश से बाहर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग का एलान करने जा हे थे तो झारखंड से ही ट्रेन पर सवार हुए थे l नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों ने 1940 में गिरफ्तार कर लिया था, अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुभाष बोस ने जेल में अनशन शुरू कर दिया, जब तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें उनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया l इसके बाद उन्होंने पेशावर के फॉरवर्ड ब्लॉक लीडर अकबर शाह से संपर्क किया, और देश से बाहर रूस जाने की योजना बनाई. हालांकि, उन्हें रूस की बजाए काबुल के रास्ते जर्मनी जाना पड़ा l
16 जनवरी 1941 को रात 1.30 बजे सुभाष बोस ने वेष बदलकर बीमा एजंड मोहम्मद जियाउद्दीन का वेष बनाया l अपने भतीजे शिशिर बोस को साथ लेकर नेताजी कार के जरिए कोलकाता से निकल पड़े l नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के नाम से 1937 मॉडल की ऑडी रैंडरर डब्ल्यू 24 कार थी जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर था BLA 7169, ये कार नेताजी के परिवार ने 1937 में खरीदी थी l बताया जाता है कि देश में खरीदी गई ये पहली ऑडी कार थी l इसी गाड़ी में नेताजी ने आखिरी बार भारत में सफर किया था l
देश की माटी को आखिरी बार सलाम किया था
जब नेताजी अपने भतीजे शिशिर के साथ कोलकाता के अपने घर से आधी रात को अंग्रेज पुलिसवालों की आंखों में धूल झोंककर निकले तो उन्होंने ग्रांड ट्रंक रोड की राह ली और सुबह आसनसोल पहुंचकर कार में पेट्रोल भरवाया l इसके बाद उन्होंने धनबाद की राह ली जहां बरारी में उनके एक और भतीजे अशोक बोस इंजीनियर के पद पर तैनात थे l यहां बीमा एजेंट मोहम्मद जियाउद्दीन बनकर वो दिन भर रहे और रात को अपने दोनो भतीजे और बड़े भतीजे की पत्नी के साथ गोमो स्टेशन आए, जहां से दिल्ली जाने के लिए कालका मेल पकड़ी और दिल्ली से फ्रंटियर मेल पकड़कर वो पेशावर पहुंचे।आज गोमो स्टेशन का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेशन कर दिया गया है l यही वो जगह है जहां से नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश की माटी को आखिरी बार सलाम किया था l
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