रांची के डुमरदगा स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में 6 फरवरी को बाल बंदियों के दो गुट के बीच हुई मारपीट हुई थी l इस घटना में 21 किशोर चोटिल हुए थे l इस घटना के बाद से रांची जिला प्रशासन एक्टिव मोड में है l यहां बंद 16 से 18 साल के बाल बंदियों को दूसरे जिलों में शिफ्ट किया जा रहा है l अभी तक 20 लोगों को शिफ्ट भी किया जा चुका है l
अब यहां रह रहे बाल बंदियों की उम्र जांच के लिए मेडिकल टेस्ट भी कराया जा रहा है l अभी तक करीब 36 किशोरों का मेडिकल कराया जा चुका है l लगभग 100 किशोरों का टेस्ट कराने का प्रयास जिला प्रशासन कर रहा है l ताकि, यह पता चल सके कि यहां रह रहे किशारों में कहीं 18 साल से अधिक उम्र के बंदी तो नाबालिग बनकर रहे हैंl
नहीं कराना चाहते मेडिकल जांच
संप्रेक्षण गृह में रहने वाले किशोर बंदियों की उम्र जांच कराने के लिए मेडिकल टेस्ट कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है l क्योंकि, मेडिकल जांच कराने के लिए कई बंदियों ने सदर अस्पताल जाने से इंकार कर दिया l इतना ही नहीं, मेडिकल जांच के लिए जिद करने पर जान मारने की धमकी भी दे रहे हैं l यही वजह है कि रिमांड होम के कर्मी भी मेडिकल टेस्ट को लेकर समझाने से बच रहे हैं l
क्षमता से अधिक रहते हैं बंदी
राजधानी के रिमांड होम में 120 बाल बंदियों को रखने की क्षमता है l मगर रांची के अलावा अन्य जिलों के बाल बंदियों को भी यहां रखे जाने के कारण क्षमता से अधिक बंदियों को यहां रखा जाता है l 6 फरवरी को जब रिमांड होम में दो गुटों के बीच लड़ाई हुई उस वक्त 158 बाल बंदी थे l इनमें से 16 से 18 साल के 62 बंदी थे, जो गंभीर अपराधों में संलिप्त होने के कारण यहां बंद हैं l घटना के बाद करीब 20 बंदियों को राज्य के विभिन्न रिमांड होम में शिफ्ट किया गया है l मगर अभी भी यहां क्षमता से अधिक बाल बंदी बंद हैं l
प्लेस ऑफ सेफ्टी निर्धारण के लिए डीसी ने लिखा पत्र
रांची सहित राज्य भर में प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्माण नहीं हुआ है l जबकि, जेजे एक्ट के अनुसार 16 से 18 साल उम्र के बड़े बंदियों को रखने के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी (सुरक्षित स्थान) होना चाहिए l 6 फरवरी की घटना के बाद डीसी छवि रंजन ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि 16 से 18 साल के बाल बंदियों के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्धारण करते हुए वहां स्थानांतरित करने का निर्देश दें l
मालूम हो कि प्लेस ऑफ सेफ्टी के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की ओर से अनुमति मिले हुए दो साल से अधिक समय गुजर गए l मगर इसका निर्माण समाज कल्याण विभाग नहीं करा सका l जबकि, 11 फरवरी 2020 और 15 अक्टूबर 2020 को भी रांची जिला प्रशासन ने विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्धारण नहीं होने से रिमांड होम में आंतरिक उपद्रव व पलायन की स्थिति यहां बनी रहती है l
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