झारखंड हाईकोर्ट ने माध्यमिक स्कूलों में पाठ्यपुस्तकों की छपाई और उसके वितरण को लेकर राजधानी की पब्लिशर्स कंपनी को किसी तरह की राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता कंपनी नेशनल प्रिंटर्स को 12 वर्ष बाद राहत देने का मामला नहीं बनता है. चुंकि पूरा मामला 2009-10 में पाठ्यपुस्तकों के वितरण से जुड़ा था. ऐसे में 10 वर्ष बाद सरकार की ओर से 11 करोड़ से अधिक का भुगतान रोकने के फैसले पर आदेश दिया जाना न्यायोचित नहीं है.
जस्टिस आनंदा सेन की अदालत ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से कोई एपीयर नहीं हो रहा था. कोर्ट ने निविदा से संबंधित सारे दस्तावेज कोर्ट में मंगा लिये थे, जिसमें याचिकाकर्ता को तकनीकी बिड में छांट दिये जाने की बातें कही गयी थी. निविदादाता कंपनी की तरफ से एपेक्स प्रोडक्ट्स प्राइवे लिमिटेड की 1 अप्रैल 2009 को हुई निदेशक मंडल की बैठक का प्रस्ताव अदालत को उपलब्ध कराया गया था.
कोर्ट ने कहा है कि एक अप्रैल को नेशनल प्रिंटर्स को एपेक्स प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को बेचे जाने की बातें सामने आयी थी. अदालत ने यह भी कहा कि स्कूली शिक्षा और साक्षरत विभाग की तरफ से आमंत्रित की गयी निविदा 108 ऑफ 2009 और 110 ऑफ 2009 को रद्द करने का कोई मतलब नहीं है. अदालत ने इसको लेकर निविदा को रद्द करने पर असमर्थता जताते हुए रीट याचिका रद्द कर दी.
Advertisements
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!