झारखंड के गढ़वा जिला का केतार प्रखण्ड लाल मिर्च की खेती के लिए विख्यात है. एक जमाने में यहां की लाल मिर्च अमेरिका तक जाती थी, लेकिन नील गाय के आतंक के चलते किसान ने अब इसकी खेती छोड़ दी है.
केतार प्रखंड में लाल मिर्च की खेती भारी पैमाने पर होती थी
गढ़वा जिले का केतार प्रखण्ड सोन नदी के तट पर बसा हुआ है. सोन नदी के उस पार बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है. कभी केतार प्रखंड में लाल मिर्च की खेती भारी पैमाने पर होती थी. किसानों को इससे लाखों की कमाई होती थी. लेकिन आज यह खेती सिमट कर रही गई है, क्योंकि सोन के तटीय क्षेत्र में नीलगाय का जबरदस्त आतंक है. नीलगाय लाल मिर्च की खेती को चट कर जाती हैं.
नीलगाय फसल खाकार कर देती है बर्बाद
इलाके के किसानों का कहना है कि हम खेती करते है और नीलगाय उस फसल को खाकर बर्बाद कर देती है. पहले एक वर्ष में लाल मिर्च की खेती से 5 लाख तक की आमदनी होती थी. लेकिन नीलगायों के चलते सब चौपट होता जा रहा है. अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो फिर से किसान लाल मिर्च की खेती को बड़े पैमाने पर करने लगेंगे.
क्या कहना है विधायक का ?
स्थानीय विधायक भानू प्रताप साही का कहना है सोन क्षेत्र में लाल मिर्च की अच्छी पैदावार होती थी. लेकिन अब किसान इसकी खेती छोड़ चुके हैं. इस मामले को लेकर हमने विधानसभा में उठाया था, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण किसान परेशान है. पहले यहां की मिर्च अमेरिका तक जाताी था लेकिन आज हालात बदल चुके हैं.
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