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यूजीसी ने फैसला लिया है कि आगामी सत्र से अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए एक केंद्रीय परीक्षा देनी पड़ेगी. और भी बड़ा बदलाव यह है कि दाखिलों में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के अंकों को नहीं देखा जाएगा.
चौंकाने वाला कदम
इसकी जगह विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित की जाएगी और दाखिला सिर्फ इस परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर होगा l अभी तक अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले का मूल आधार 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के अंक हुआ करते थे l हर साल इन अंकों के आधार पर कॉलेज अपनी अपनी कट ऑफ निर्धारित किया करते थे l अगर कोई कॉलेज इसके बाद आवेदकों में से चुनने के लिए कोई प्रवेश प्ररीक्षा भी आयोजित करना चाहे तो उसे ऐसा करने की छूट थी, लेकिन यह अनिवार्य नहीं था l नई प्रक्रिया के तहत 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की अहमियत को खत्म कर दिया गया है l
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यह एक बड़ा बदलाव है और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी की वजह से शिक्षा में आई रुकावटों से जूझ रहे छात्रों के लिए एक चौंकाने वाला कदम है l वागीशा कहती हैं कि शुरू में उन्हें यह खबर इतनी अविश्वसनीय लगी कि उन्हें लगा कि यह जरूर फेक न्यूज है l12वीं के अंकों को अंडरग्रैजुएट दाखिलों का आधार बनाने को खत्म करना देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव है l कई विशेषज्ञों का मानना रहा है कि इस आधार की वजह से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को दाखिलों के लिए 99 और 100 प्रतिशत जैसे बहुत ही ऊंचे और अवास्तविक कट ऑफ निकालने पड़ते हैं l
क्या कहते हैं समर्थक
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, “सीयूईटी 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम पर ही आधारित होगी इसलिए छात्रों को इसे देने में कोई कठिनाई नहीं होगी l दूसरा, कट ऑफ व्यवस्था तर्कसंगत नहीं थी और इस कदम की बदौलत उस व्यवस्था से आजादी मिलेगी l अभी तक कहीं बहुत ऊंचे तो कहीं बहुत नीचे कट ऑफ हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा l तीसरा, देश के दूर दराज के कोनों में पढ़ने वाले छात्रों को भी बराबर अवसर मिल पाएंगे l”
लेकिन समस्या इस फैसले को लागू करने में जल्दबाजी की है l महामारी की वजह से 2020 से ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं प्रभावित रही हैं l इस साल सीबीएसई ने फैसला लिया था कि 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं दो सत्रों में आयोजित की जाएंगी l परीक्षा का पहला सत्र सितंबर में हो चुका है और दूसरा सत्र 26 अप्रैल से शुरू हो कर 15 जून को खत्म होगा l
इसी सत्र में इतना बड़ा बदलाव लाना क्या ठीक है ?
कई जानकार सवाल उठा रहे हैं ऐसे में इसी सत्र में इतना बड़ा बदलाव लाना क्या ठीक है l दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस की प्रोफेसर आभा देव हबीब कहती हैं कि यह बदलाव विशेष रूप से इस समय 12वीं कक्षा में पढ़ रहे छात्रों के लिए “बहुत अचानक और बहुत बड़ा” है l
हबीब ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि इस कदम से 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई नष्ट हो जाएगी और यह एक बुरा विचार है l
स्कूलों में भी इस कदम को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है l कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने शंका व्यक्त की है कि कहीं इस कदम से छात्रों और अभिभावकों में 12वीं की पढ़ाई के प्रति उदासीनता ही ना जन्म ले ले l देखना होगा कि इस कदम पर यह बहस आगे किस तरफ बढ़ती है l
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