भारत में लोगों ने बाहर के खाने, ईंधन और यहां तक कि सब्जियों में भी कटौती करनी शुरू कर दी है क्योंकि महंगाई के कारण घर का खर्च बढ़ गया है l कोविड-19 से उबर रही अर्थव्यवस्था पर अब यूक्रेन युद्ध का असर दिखने लगा है और आवश्यक उपभोक्ता चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका असर जन-जीवन पर नजर आने लगा है l
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में कंपनियां बढ़ती लागत को अब आम उपभोक्तों से वसूल रही हैं l हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पांच महीनों में पहली बार वृद्धि हुई है l खाने के तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं l
घर का बजट मुश्किल में
गृहिणी इंद्राणी मजूमदार कहती हैं, “भगवान जाने हम इतनी महंगाई में घर कैसे चलाएंगे.” इंद्राणी मजूमदार अपने परिवार में अकेली कमाने वाली हैं और दो साल की महामारी के दौरान उनकी तनख्वाह आधी हो चुकी है l वह बताती हैं कि उनके परिवार ने कई खर्चों में कटौती की है l वह बताती हैं कि परिवार अब ज्यादातर उबला हुआ खाना खाता है ताकि खाने के तेल का खर्च बचाया जा सके l ऐसी ही छोटी-छोटी कटौतियों की बात दर्जनों परिवारों ने कही है l
दरअअसल, बीते अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के बीच भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार उतनी तेज नहीं रही, जितनी कि उम्मीद की जा रही थी l अब अर्थशास्त्रियों ने आशंका जाहिर की है कि तेल की बढ़ी हुई कीमतों का असर मौजूदा रफ्तार पर पड़ेगा क्योंकि इसके कारण महंगाई बढ़ रही है l
सब्जी बेचने वाले देबाशीष धारा कहते हैं कि फरवरी से अब तक उनकी बिक्री आधी हो चुकी है क्योंकि ट्रांसपोर्ट के महंगा होने के कारण सब्जियों का दाम बढ़ रहा है l दूध कंपनियां मदर डेयरी और अमूल भी दाम बढ़ा चुकी हैं l हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले ने नूडल, चाय और कॉफी के दाम बढ़ा दिए हैं l
हर ओर महंगाई
भारत के कुल घरेलू उत्पाद में व्यक्तिगत उपभोग का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है l 24 फरवरी को यूक्रेन द्वारा रूस पर हमले के बाद, जिसे रूस ‘विशेष सैन्य अभियान’ कहता है, भारतीय कंपनियों ने दूध, नूडल, चिकन और अन्य सामोनों के दाम पांच से 20 प्रतिशत तक बढ़ाए हैं l
कोविड महामारी का असर भारत के लगभग 80 प्रतिशत परिवारों पर पड़ा था l करीब 1.4 अरब आबादी में से लगभग 80 करोड़ लोगों को महामारी के कारण सरकार से राशन मिला था l अब कीमतों में मामूली वृद्धि भी इन परिवारों के बजट को प्रभावित कर सकती है l
भारत के मुख्य सांख्यिकीविद रह चुके प्रणब सेन कहते हैं कि लगातार तीसरा साल ऐसा हो सकता है जब परिवारों का बजट तंग होगा l उन्होंने कहा, “महामारी के बाद बचत बढ़ाने की प्रक्रिया बस शुरू ही हो रही थी l इस नए झटके के बाद लोगों को अपना उपभोग कम करना पड़ेगा l”
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने आयात पर निर्भर करने वाले देशों को ईंधन की कीमतें बढ़ाने को मजबूर कर दिया है l भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात करता है और इस साल उसने ईंधन की कीमतें लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ाई हैं l भारत खाने के तेलों का भी दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है l उसकी कुल जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आता है l
भारत में पाम ऑयल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला खाने का तेल है l इस साल उसकी कीमतें 45 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं l यूक्रेन जिस सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं, उसकी सप्लाई प्रभावित होने से भी बाजार पर असर पड़ा है l कुछ थोक व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक महीने में दाम बढ़ने के साथ-साथ खाने के तेलों की बिक्री में लगभग एक चौथाई की कमी आ चुकी है l
मुश्किल अर्थव्यवस्था
फरवरी में लगातार दूसरे महीने मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर रही है जबकि थोक मुद्रास्फीति 13 प्रतिशत से ज्यादा है l वित्तीय सेवाएं देने वाली संस्ता जेफरीज ने एक बयान जारी कर कहा, “चूंकि उपभोग कम हो रहा है इसलिए मुद्रास्फीति में वृद्धि के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता था l”
भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह उपभोक्ता वस्तुओं के दामों पर नजर बनाए हुए है l अगले महीने बैंक को अपनी नई मौद्रिक नीति तय करने के लिए बैठक करनी है l लेकिन बाजार को उम्मीद नहीं है कि रिजर्व बैंक दरों में कोई बदलाव करेगा l ऐसा ही कई अन्य देशों में भी हुआ है, इस बात को लेकर ऊहापोह में हैं कि महंगाई रोकने के लिए दरें बढ़ाई जाएं या नहीं l
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