भारत में विशेष स्थान पर पाई जाने वाली लाल चंदन की लकड़ी का खासा महत्व है। वैज्ञानिक नाम Pterocarpus Santalinus से पहचाना जाने वाला रक्त चंदन आंध्र प्रदेश के जंगलों में पाया जाने वाला पेड़ है, जिसकी वजह से काफी खूनखराबा भी हो चुका है। चीन में इस पेड़ की विशेष मांग है, जिसके लिए तस्करी भी होती रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टास्क फोर्स की तैनाती की गई है।
फर्नीचर से लेकर औषधि तक है रक्त चंदन का उपयोग
आंध्र की शेषाचलम पहाड़ियों में पाए जाने वाले रक्त चंदन (Red Sandal) के पेड़ को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। शैव और शाक्त मत को मानने वाले पूजा में इस लकड़ी का प्रयोग करते हैं। रक्त चंदन में सफेद चंदन की तरह कोई सुगंध नहीं होती है। यह काफी गुणकारी होता है। औषधीय गुणों के साथ ही इसका प्रयोग सुंदरता को निखारने के लिए भी किया जाता है।
काफी महंगी कीमत, सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौता
महंगे फर्नीचर, सजावट के काम के लिए भी रक्त चंदन की लकड़ियों की काफी डिमांड है। इसके साथ ही शराब और कॉस्मेटिक्स में भी इसका पूरा उपयोग किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी लकड़ियों की कीमत काफी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत भारत पर रक्त चंदन के पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
शेषाचलम जंगलों को छोड़ दुनिया में कहीं नहीं उगते ये पेड़
तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में ही रक्त चंदन के पेड़ उगते हैं। इस पेड़ की औसत ऊंचाई 8 से लेकर 11 मीटर तक की होती है। इसका घनत्व काफी अधिक होता है और पानी में यह डूब जाती है। यही लाल चंदन की लकड़ियों की पहचान है।
बड़े पैमाने पर होती है तस्करी, 11 साल जेल की सजा
बड़े पैमाने पर रक्त चंदन की तस्करी भी की जाती है। सवा दो लाख हेक्टेयर में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों के कई हिस्सों में पाई जाने वाली इन खास लकड़ियों की तादाद 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। पांच साल पहले 2015 में एनकाउंटर में 20 तस्करों की मौत भी हुई थी। इसके साथ बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। तस्करी करते पाए जाने पर 11 साल जेल की सजा का प्रावधान है।
चीन में है रक्त चंदन की लकड़ियों की सबसे अधिक मांग
सड़क, जल, वायु इन तीनों मार्गों से रक्त चंदन की लकड़ियों की तस्करी की जाती है। पकड़े जाने से बचने के लिए कई बार पाउडर के रूप में भी तस्करी होती है। चीन, जापान, सिंगापुर, यूएई, आस्ट्रेलिया सहित अन्य कई देशों में इन लकड़ियों की डिमांड है। लेकिन सबसे अधिक मांग चीन में है। स्मगलिंग भी सबसे अधिक यहीं होती है। फर्नीचर, सजावटी सामान, पारंपरिक वाद्ययंत्र के लिए मांग अधिक है।
चंदन की तस्करी कर Allu Arjun की ‘Pushpa’ ने कमाए करोड़ों
हाल ही में रिलीज़ हुई अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा भी लाल संदल की तस्करी पर ही आधारित है। साउथ सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा बॉक्स ऑफिस पर बेंचमार्क सेट कर रही है। फिल्म ने साउथ ही नहीं हिंदी ऑडियंस के बीच भी हर गुजरते दिन के साथ कमाई का आंकड़ा ऊपर किया है।फिल्म में लाल चंदन की लकड़ियों की स्मगलिंग दिखाई गई है।
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