एनआईए के विशेष न्यायाधीश एमके वर्मा की अदालत में मानव तस्कर पन्नालाल महतो समेत तीन के खिलाफ आरोप गठित किया गया। अदालत ने सात मार्च से अभियोजन साक्ष्य पेश करने की तारीख तय की है l
आरोप गठन के बिन्दु पर सुनवाई के दौरान पन्नालाल महतो, उसका भाई शिव शंकर महतो उर्फ शिव शंकर गंझू एवं सहायक गोपाल उरांव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से पेश किया गया। तीनों में उनके ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया। इसके बाद अदालत ने तीनों के खिलाफ विभिन्न धाराओं एवं अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम के तहत आरोप गठन किया। पन्नालाल उक्त मामले में एनआईए ने चार मार्च 2020 को न्यायिक हिरासत में लिया था। खूंटी की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में छह अगस्त 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एनआईए ने इसे टेकओवर कर दो मार्च 2020 को प्राथमिकी दर्ज की है।
पन्नालाल व उसकी पत्नी की नेताओं से भी थी सांठगांठ
झारखंड के सबसे बड़े मानव तस्कर पन्नालाल गंझू, उसकी पत्नी सुनीता देवी साल 2003 से मानव तस्करी के कारोबार में शामिल हैं। दोनों घरेलू नौकर के तौर पर काम करते हुए मानव तस्करी के सबसे बड़े नाम बन गए। इस दौरान उन्होंने नेताओं से भी सांठगांठ की। चौकानें वाली बात यह है कि दोनों ने झारखंड के एक पूर्व मंत्री के संरक्षण में दिल्ली में कई नेताओं से भी संपर्क जोड़ा था।
दिल्ली में प्लाट, कराया कई एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन
गायत्री प्लेसमेंट एजेंसी से पैसे कमाने के बाद पन्नालाल ने अपना खुद का बिरसा भगवान ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी नाम का एजेंसी खोला। 2005 में सुकरपुर के जेजे कॉलोनी में 25- 25 गज के दो प्लाट की खरीद पन्नालाल ने की। इनमें उसने चार तल का मकान बनाया। गांव से लाए गए बच्चों को यहीं लाकर ठहराया जाता था। प्लसमेंट एजेंसी के एजेंटों को प्रति व्यक्ति 20 हजार तक कमीशन दिया जाता। जिन्हें यहां से नौकरी पर लगाया जाता उससे भी कमीशन की राशि पन्नालाल लेता था। यहां से घरेलू नौकरों को गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, पटना, बंगलौर, हैदराबाद शहरों में भी भेजा जाता था।
झारखंड भवन में भी आना जाना
पन्नालाल के लिए 150 से अधिक लोगों को झारखंड के गांव-गांव में बतौर एजेंट लोगों को काम पर लगाया गया था। हाल के दिनों में 1 लाख तक का कमीशन प्रत्येक तस्करी पर दिया जाता था। पन्नालाल ने स्वीकार किया है कि काफी पहले से उसका झारखंड भवन में आना जाना था।
यहां झारखंड के सारे प्लेसमेंट एजेंसियों ने मिलकर एक यूनियन नेशनल आदिवासी सेवा संस्थान बनाया था। इस यूनियन का अध्यक्ष तस्करी के केस में ही पूर्व में गिरफ्तार बाबा बामदेव राम, बंगाल के धनंजय को उपाध्यक्ष, यूपी के बलदेव जायसवाल, रोहित मुनी, प्रभा मुन को सदस्य बनाया गया था। झारखंड भवन में ही आने-जाने वाले नेताओं से मिलकर सभी ने अपना राजनीतिक संपर्क स्थापित किया।
कैसे बना तस्कर पन्नालाल
जांच में यह बात सामने आयी है कि पन्नालाल साल 2002 में नौकरी की तलाश में पहली बार दिल्ली गया था। 2003 में वह दिल्ली से वापस खूंटी लौटा, इसके बाद कुछ लड़कियों को लेकर दिल्ली गया। वहां उसने प्लेसमेंट एजेंसी शुरू की। साल 2006 में उसने सुनीता से प्रेम विवाह किया। इसके बाद उसे दिल्ली ले गया। जहां सुनीता घरेलू नौकरानी का काम करती थी। इसी दौरान उसने प्लेसमेंट एजेंसी का काम देखना शुरू किया। पन्नालाल, सुनीता और उसकी भाभी गायत्री देवी ने गायत्री प्लेसमेंट एजेंसी खोली। शुरुआत में इस एजेंसी से तकरीबन 3 हजार लड़कियों की तस्करी की गई। प्रत्येक लड़की पर तकरीबन 15 हजार कमीशन पन्नालाल को मिलते थे।
क्या है आरोप ?
आरोप है कि वह झारखंड से गरीब और मासूम नाबालिग लड़के-लड़कियों को दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में नौकरी दिलाने के बहाने तस्करी करता था। पीड़ितों का शोषण किया गया और उनलोगों को कभी भी वादा के अनुसार पारिरश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया। पन्ना लाल और उसकी पत्नी सुनीता देवी दिल्ली में छह प्लेसमेंट एजेंसियों की आड़ में मानव तस्करी रैकेट को चला रहा था।
झारखंड में मानव तस्करी रोकने के लिए पन्ना लाल के साथ इसके सहयोगी बाबा बामदेव आकाश राठी, लता लकड़ा, विनोद त्यागी अन्य 36 किंगपिन 240 प्लेसमेन्ट एजेंसी पर कारवाई होनी चाहिए जिसकी सूची सीआईडी झारखंड के पास उपलब्ध है- बैद्यनाथ कुमार, बाल अधिकार कार्यकर्ता।
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