चार दिन पहले, 22 मार्च को बिहार के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए और वर्तमान को समृद्धशाली बनाने की प्रतिज्ञा के साथ धूमधाम से बिहार दिवस मनाया गया l लेकिन, इस धूम-धड़ाके के 48 घंटे भी नहीं बीते थे कि बिहार से सैकड़ों किलोमीटर दूर तेलंगाना (हैदराबाद) में कबाड़ के एक गोदाम में आग लगने की एक घटना में बिहार के सारण और कटिहार जिले के 11 मजदूरों की मौत हो गई l ये मजदूर गोदाम में काम करते थे और गोदाम के ऊपर बने कमरे में रहते थे l
इसी दिन देर रात उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के विजयनगर इलाके में नाला खुदाई के दौरान एक स्कूल की दीवार गिरने से तीन मजदूर काल के गाल में समा गए l ये सभी अररिया जिले के जोकीहाट के रहने वाले थे l इन मजदूरों में कोई घर बनाने के लिए पैसे जुटाने की तमन्ना के साथ, तो कोई बहन के हाथ पीले करने के लिए पैसे कमाने के लिए परदेस गया था l इन सब की हसरतें तो अधूरी रह ही गईं, अब वे अपनों का मुंह भी नहीं देख पाएंगे l
राज्य के बाहर कामगारों की मौत की यह पहली घटना नहीं
ऐसा नहीं है कि राज्य के बाहर कामगारों की मौत की यह पहली घटना है l दूसरे प्रदेशों में बिहारी मजदूरों की मौत की खबरें अक्सर आती हैं l हर ऐसी घटना के बाद गम जताया जाता है और मुआवजे का एलान होता है l एक-दो दिन सोशल मीडिया पर शोक संदेश तैरते हैं l धीरे-धीरे इन मजदूरों की मौत की असली वजह बेरोजगारी और पलायन को भुला दिया जाता है l कुछ दिनों बाद फिर ऐसी ही घटना होती है और फिर शोक और मुआवजे का सिलसिला शुरू हो जाता है l आखिर बिहार के कामगार रोजी-रोटी की खातिर परदेश में कब तक मरते रहेंगे? क्या यही इनकी नियति बन गई है?
लंबी है मामलों की फेहरिस्त
इससे पहले बीते फरवरी माह में महाराष्ट्र के पुणे में एक निर्माणाधीन मॉल में लोहे की जाली गिरने से कटिहार जिले के पांच मजदूरों की जान चली गई. इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया था l पुणे में ही जून, 2019 में हुई एक अन्य घटना में बिहार के 15 मजदूरों की मौत हो गई थी l पिछले साल अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने बिहार के मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया था l इसी माह उत्तराखंड के नैनीताल में हुए एक हादसे में पश्चिम चंपारण जिले के नौ श्रमिकों की मौत हो गई थी l
इन घटनाओं के अलावा रोजगार की खोज में दूसरे राज्यों में जाने के दौरान भी ये मजदूर सड़क हादसों के शिकार होते रहते हैं l ऐसी ही एक घटना अगस्त, 2021 की है, जब महाराष्ट्र में बिहार और उत्तर प्रदेश के 12 मजदूरों की जान चली गई थी l साल 2020 के अगस्त महीने में बिहार से मजदूरों को लेकर अंबाला जा रहा वाहन उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक ट्रक के पीछे जा घुसा था l इस दुर्घटना में पांच मजदूरों की मौत हो हुई, जिनमें से चार सिवान जिले के थे l इसी साल मई महीने में उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में हुए सड़क हादसे में बिहार-झारखंड के नौ मजदूरों की जान चली गई थी l जाहिर है कि ये चंद उदाहरण हैं l ऐसे हादसों की फेहरिस्त लंबी है l
अमानवीय स्थिति में रहने की मजबूरी
परदेश में इन मजदूरों को दुर्व्यवहार तो बर्दाश्त करना ही पड़ता है, रोजगार देने वाले इन्हें बंधक तक बना लेते हैं l ऐसे ही 14 कामगार कर्नाटक के बेलगाम में बंधक बना लिए गए थे l बड़ी मशक्कत के बाद पिछले गुरुवार को ये लोग पश्चिम चंपारण के बगहा स्थित अपने घर पहुंच पाए l इन्हें इनके गांव का ही एक व्यक्ति ईख की फसल कटाई के लिए वहां लेकर गया था l इतना ही नहीं, बाहर गए ज्यादातर श्रमिक अमानवीय स्थितियों में रहने को मजबूर होते हैं l
तेलंगाना में जहां आग लगने की घटना हुई, वहां आग से बचाव के लिए किसी तरह के उपाय नहीं किए गए थे l गोदाम के ऊपर के कमरे में जाने के लिए सिर्फ एक घुमावदार सीढ़ी बनी थी, जो हादसे के वक्त मददगार साबित नहीं हुई l किसी तरह एक मजदूर कूदकर अपनी जान बचा सका l नतीजतन, गोदाम में रखी प्लास्टिक की बोतलों और फाइबर केबल में लगी आग से उठे धुएं और आग की लपटों में घुटकर, झुलसकर वे काल के गाल में समा गए l
दर्द इतना कि आंसू सूख गए
सारण के पुरुषोत्तमपुर गांव के 19 वर्षीय अंकज के पिता ओमप्रकाश राम, मां संजू देवी और दादा कन्हाई राम बेहाल हैं l अंकज की बहन शिल्पी, रीता और पूजा की आंखें रोते-रोते सूज गईं l तेलंगाना में कबाड़ गोदाम में लगी आग ने अंकज को भी लील लिया l चार बहनों का दुलारा अंकज घर का इकलौता लड़का और परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था l अंकज के पिता ओमप्रकाश रुंधे गले से कहते हैं, “बच्चे से 21 तारीख को बात हुई थी l उसे मई में बहन की शादी में आना था l डेढ़ साल पहले वह कमाने के लिए गया था और अब हम सब को छोड़कर चला गया l”
अमनौर अगुवान गांव के देवनाथ राम मोबाइल बजते ही सिहर उठते हैं l सुबह ही उन्हें जानकारी मिली थी कि रात में तीन बजे गोदाम में आग लगने की वजह से उनके 25 साल के बेटे दीपक और उसके भतीजे बिट्टू की मौत हो गई l चाचा-भतीजे की मौत से परिवार में कोहराम मचा है l आजमपुर गांव के राधेकिशन राम के दो बेटे, 22 साल के राजेश और 19 साल के प्रेम कमाने के लिए 20 दिन पहले ही तेलंगाना गए थे l आग लगने के हादसे में राजेश की मौत हो गई और प्रेम जिंदगी-मौत के बीच झूल रहा है l इन दोनों की बहन रितु की 14 जून को शादी होनी थी l इसी के लिए पैसे कमाने दोनों भाई तेलंगाना गए थे l
पलायन की विवशता क्यों
पत्रकार सुधीर कुमार मिश्रा कहते हैं, “आप कश्मीर से कन्याकुमारी तक चाहे जहां चले जाइए l भारत में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय और सबसे ज्यादा असमानता वाले राज्य बिहार के लोग आपको हर जगह मिल जाएंगे l इसकी इकलौती वजह राज्य में रोजगार का अभाव है l यही वजह है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों किलोमीटर पैदल सफर करके अपने घरों को लौटने वाले लोग फिर पलायन को मजबूर हो गए l”
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