भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी को शेयर बाजार में उतारना देश में निजीकरण की मुहिम को बड़े प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इससे सरकार को दस अरब डॉलर यानी पांच खरब रुपये से ज्यादा की कमाई हो सकती है.
एलआईसी का आईपीओ मार्च में आने की संभावना है. इसके बाद टीसीएस और रिलायंस की तर्ज पर यह शेयर बाजार में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल हो जाएगी.
एलआईसी को 1956 में स्थापित किया गया था. साल 2000 में जब निजी कंपनियों को जीवन बीमा उद्योग में प्रवेश की इजाजत मिली, उससे पहले भारतीयों के लिए जीवन बीमा का मतलब एलआईसी ही होता था. आज भी भारत के जीवन बीमा बाजार के दो तिहाई हिस्से पर इसी का कब्जा है.
एलआईसी वर्चस्व विशाल है
एलआईसी 367 खरब रुपये की संपत्ति की मालिक है, जो भारत के जीडीपी का लगभग 16 प्रतिशत है. इसके एक लाख से ज्यादा कर्मचारी और दस लाख से ज्यादा बीमा एजेंट हैं. कंपनी के पास देश के सभी प्रमुख शहरों में अहम जगहों पर बड़े-बड़े दफ्तरों के रूप में अहम संपत्ति है. इनमें चेन्नई की 15 मंजिला इमारत और मुंबई के केंद्र में स्थित मशहूर विशाल भवन भी है, जो कंपनी का मुख्यालय है.
माना जाता है कि एलआईसी के पास बेशकीमत कलाकृतियां भी संग्रहित हैं जिनमें एमएफ हुसैन की पेंटिंग शामिल हैं. हालांकि इस संग्रह की जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपबल्ध नहीं है.
कोविड महामारी के कारण धीमी रफ्तार से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था में सरकार एलआईसी के आईपीओ को बड़ी उम्मीदभरी निगाहों से देख रही है. निजीकरण के रूप में सरकारी संपत्तियां बेचकर पैसा जुटा रही भारत सरकार को इस आईपीओ से अच्छी खासी कमाई की उम्मीद है क्योंकि पिछले दिनों उसे सरकारी कंपनियां बेचने से ज्यादा धन नहीं मिला था. इस वित्त वर्ष में सरकार ने सरकारी संपत्तियों के निजिकरण से 780 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य तय किया था लेकिन अब तक की बिक्री से सिर्फ 120.3 अरब रुपये ही जुटाए जा सके हैं.
हो रहा है आईपीओ का जम कर प्रचार
आर्थिक मामलों के जानकारी श्रीनाथ श्रीधरन कहते हैं कि एलआईसी भारत सरकार के लिए ‘पारिवारिक गहनों’ जैसी है. कंपनी अपने पॉलीसीधारकों को डिस्काउंट पर आईपीओ में निवेश करने की पेशकश दे रही है. इसके लिए टीवी और अखबार में विज्ञापनों के जरिए खूब प्रचार भी किया जा रहा है.
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