केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि सरकार तेल विपणन कंपनियों (Oil Marketing Companies) को पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने या बढ़ाने के लिए नहीं कहती है। देश में पिछले तीन महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें जस की तस हैं। लोकसभा में विभिन्न सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री पुरी ने कहा कि उच्च फ्यूल कीमतों से निपटने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते क्या सरकार ने फ्यूल कीमतें नहीं बढ़ाई हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम तेल विपणन कंपनियों को इनकी कीमतें घटाने या बढ़ाने के लिए नहीं कहते हैं, वे स्वयं निर्धारित करते हैं।
7 वर्षों में 30 प्रतिशत की वृद्धि
वर्ष 2014 से 2021 तक सात वर्षों की अवधि में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के पिछले आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1973 से 1979 के बीच जब प्रशासित कीमतों की प्रणाली थी, तब इस दौरान कीमतों में 140 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई और 1979 से 1986 के बीच 122 प्रतिशत वृद्धि हुई। 1986 से 1993 के बीच इसमें 125 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि 2000 से 2007 के दौरान इनकी कीमतों में 70 प्रतिशत और 2007 से 2014 के बीच 60 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।
अभी मांग ज्यादा, उपलब्धता कम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी हमारे समक्ष ऐसी स्थिति है कि बाजार में मांग की तुलना में कम कच्चा तेल उपलब्ध है और इसलिए कीमतें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि हम तेल उत्पादक देशों के साथ सम्पर्क में हैं। उन्होंने बताया कि फ्यूल कीमतें कम करने के लिए उठाए गए कदमों के तहत पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई गई है। अब राज्यों की बारी है कि वे इस पर वैट घटाएं।
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