पलामू के पिपरा प्रखंड अंतर्गत दमवा गांव के पानी में घुले ज़हर से ग्रामीणों के बीच धीमी मौत बंट रही है | पानी में फ्हालोराइड घुल चूका है | लोगों की जान जोखिम में पड़ गयी है | बीते दो साल के भीतर बमुश्किल पांच-छह सौ की आबादी वाले इस गांव में 17 लोग कैंसर से मर हुके हैं | अब भी आधा दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हैं। इनमें तीन के कैंसर से ग्रस्त होने की पुष्टि हो चुकी है।
पानी में है ज़हर
पेयजल विभाग ने भी माना है कि इस्तेमाल किया जा रहा पानी पीने योग्य नहीं है। इसमें हानिकारक तत्व फ्लोराइड खतरनाक मात्रा में मौजूद हैं।
सरकार को लिखा जा चुका है पत्र
सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय कर्नल संजय सिंह ने हो रही मौतों को लेकर जिला प्रशासन और सरकार को लिखा है |टीम ने गांव के कई जलस्रोतों के नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए एनएबीएल भेजा था। कर्नल के मुताबिक जाँच में आया है कि गांव के तीन जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा तय मानक से 300 प्रतिशत तक ज्यादा बताई गई है। उनका कहना है कि प्रशासन को तत्काल यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया करना चाहिए | लेकिन अब तक कोई हरकत नहीं दिख रही है।
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लोगों से पानी का उपयोग न करने की अपील
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने ग्रामीणों से अत्यधिक फ्लोराइड की मात्रा वाले जलस्रोतों के पानी का उपयोग नहीं करने की अपील की है। ऐसे जलस्रोतों पर लाल निशान भी लगा दिये गये हैं। इधर ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गांव में बाहर से जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं होती, उनके सामने इस पानी के इस्तेमाल के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
ग्रामीणों के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में गांव के जिन लोगों की कैंसर से मौत हुई है, उनमें सरयू सिंह, रतन सिंह, नागदेव रविदास, शीला देवी, दामोदर देवी, मानमती देवी, गणेश सिंह की पत्नी, शिवशंकर सिंह, फुलकलिया देवी सहित कुल 17 लोग शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर लोग ब्लड कैंसर से पीड़ित थे। गांव के रामनरेश पासवान बताते हैं कि मेरी पत्नी चार साल पहले बीमार पड़ी। जांच हुई तो पता चला कि वह से कैंसर पीड़ित है। कई जगहों पर इलाज के बाद भी उनकी हालत खराब होती गई और लगभग डेढ़ साल में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। इसी साल फुलकलिया देवी की भी मौत कैंसर से हुई। उनके परिजनों ने भी दिल्ली, बनारस, पटना सहित कई शहरों में इलाज कराया, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।
दमवा के अलावा पलामू के दर्जनों गांवों में पानी में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा की शिकायतें लगातार मिली हैं। जानकारों के मुताबिक पेयजल में एक पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा स्वीकार्य है, परंतु पलामू के कई हिस्सों में यह मात्रा छह पीपीएम से भी अधिक पहुंच रही है। इस वजह से पलामू के लोगों में बोन डेंसिटी (अस्थि घनत्व) कम होने की शिकायतें बेहद आम हैं।
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–आईएएनएस
एसएनसी/एएनएम
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