तमिलनाडु के सलेम में शनिवार को ऐसा सीन देखने को मिला, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया। यह भावनात्मक पुनर्मिलन था ओमलूर के पास पूसरीपट्टी गांव में एक मां और बेटी का। बेटी जन्म के 11 दिन बाद अपनी मां से अलग हो गई थी और लगभग 23 साल बाद वह नीदरलैंड से अपनी मां से मिलने आई तो दोनों एक दूसरे से लिपटकर खूब रोईं।
युवती अपने जैविक माता-पिता की तलाश में ओमलूर पहुंची और यहां से गांव पहुंची। यहां अपनी मां अमुधा और 25 साल की बड़ी बहन जेनिफर से मिली। हालांकि, उसे पता चला कि उसके पिता रंगनाथन का निधन कुछ दिनों पहले हो चुका है।
दो साल पहले पता चली सच्चाई
अमुथवल्ली ने कहा कि जब वह थोड़ी बड़ी हुई तो उसे एक बात खटकती थी कि उसके माता-पिता इतने गोरे हैं और उसका रंग काला क्यों है। पहले पीट और अगीता उसे बहला-फुसला देते थे। आखिरकार दो साल पहले उसकी जिद के आगे पीट और अगीता ने उसे सच्चाई बताई कि उन्होंने उसे भारत में गोद लिया था।
गरीबी के चलते दिया था गोद
अमुथवल्ली ने अपने पैरंट्स से डीटेल लेकर जैविक माता-पिता का पता लगाना शुरू किया। वह भारत आई और फिर यहां आकर उसे अपनी मां मिलीं। अमुधा ने बताया कि उसके पति शराबी थे। उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, इसलिए, हमने अमुथवल्ली को 1998 में उसके जन्म के 11 दिन बाद विदेशी जोड़े को गोद दे दिया था। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फिर कभी अपनी बेटी को फिर से देख सकूंगी।
अमुथवल्ली ने कहा कि वह अपनी जैविक मां से मिलने के लिए बहुत उत्साहित थीं। जब वह सामने आईं तो कुछ मिनटों के लिए वह भौचक रह गई। अमुथवल्ली ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और वह नीदरलैंड में एक बुके की दुकान चलाती हैं।
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