बिहार: किशोर न्याय परिषद (Juvenile Justice Board) के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने चार साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के आरोपी किशोर को गवाही और बहस पूरी कर 24 घंटे से भी कम समय में सजा सुना दी। 26 नवम्बर को उन्होंने किशोर और गवाहों का बयान दर्ज कर सारी न्यायिक प्रक्रिया पूरी कर दी और 27 नवम्बर को उन्होंने सजा सुना दी। आरोपी किशोर को धारा 377 के तहत तीन वर्ष और पाक्सो (POCSO) के तहत तीन वर्ष की सजा सुनायी गयी है।
ये है पूरा मामला
मामला नालंदा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। आरोपी किशोर एक बच्ची को इमली और टॉफी देने का लालच देकर अपने घर की छत पर बने कमरे में ले गया था और उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया। जिससे बच्ची लहुलूहान हो गयी थी। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर उसकी मां आरोपी के घर गई। जहां आरोपी ने बच्ची को कमरे में बंद कर रखा था। दरवाजा खुलवाकर वह कमरे में गयी तो देखा कि बच्ची काफी डरी हुई थी और रक्त बह रहा था। मां को देखकर आरोपी भाग गया। बच्ची ने इशारा में अपने साथ हुए कुकर्म के बारे में बताया।
बचाव पक्ष के वकील ने कम सजा सुनाने की अपील की पर जज ने सुनाई अधिकतम सजा
जेजेबी जज ने माना है कि जिस तरह से किशोर ने योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया और मौके पर से फरार हो गया वह उसे मानसिक और शरीरिक रूप से अपराध करने में सक्षम साबित करता है। बचाव पक्ष के वकील ने किशोर की उम्र व पहला अपराध होने का दावा कर कम से कम सजा की अपील की थी। जिसे जेजेबी जज ने नहीं माना व अधिकतम सजा सुनायी। विशेष गृह में किशोर के आवासन के दौरान वहां के अधीक्षक को किशोर की नियमित काउंसलिंग और पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। साथ ही किशोर के आचरण व व्यवहार में हो रहे परिवर्तन से प्रत्येक छह माह पर जेजेबी को अवगत कराने को भी कहा गया है।
आरोपी किशोर रिश्ते में है पीड़िता का चाचा
आरोपी किशोर रिश्ते में पीड़िता का चाचा लगता है। घटना के समय किशोर की आयु करीब 14 वर्ष थी। उसने 8 अक्टूबर 2021 को इस घटना को अंजाम दिया था। पीड़िता की मां ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। सहायक अभियोजन पदाधिकारी जयप्रकाश ने कुल पांच गवाहों का साक्ष्य परीक्षण किया।
एफएसएल रिपोर्ट ने किया सजा के आधार को पुख्ता
गवाहों के अलावा, इस मामले में एफएसएल रिपोर्ट (FSL Report) भी आरोपी किशोर को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। पुलिस द्वारा घटनास्थल से बरामद खून लगे हुए पीड़िता के कपड़े व आरोपी का खून व सीमेन लगा कपड़ा की एफएसएल जांच में पुष्टि हुई कि यह मानवीय रक्त है और आरोपी व बच्ची का ही है।
एक नजर में घटनाक्रम
- घटना व प्राथमिकी की तिथि- 8 अक्टूबर 21
- जेजेबी में किशोर की पेशी- 9 अक्टूबर 21
- आरोपी को किशोर घोषित करने की तिथि- 3 नवम्बर 21
- आरोपी किशोर पर आरोप का गठन- 25 नवम्बर 21
- किशोर का बयान व साक्ष्य परीक्षण- 26 नवम्बर 21
- सजा का निर्धारण- 27 नवम्बर 21
जज ने कहा- जिस देश में नारी की पूजा होती है वहां ऐसा अपराध चिंताजनक
जज मानवेन्द्र मिश्र ने अपने फैसले में इस तरह के जघन्य अपराध पर चिंता जाहिर की है। फैसले में कहा है कि जिस देश की मूल संस्कृति में नारी की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते हैं का भाव हो और कुमारी कन्या को देवी मानकर अनादि काल से पूजा की परंपरा चली आ रही हो उस देश में किशोर द्वारा ऐसी पशु प्रवृत्ति समाज के लिए चिंता का विषय है। ऐसी प्रवृत्ति को रोकने और किशोरों में अच्छे संस्कार व महिलाओं के प्रति सम्मान विकसित करने के लिए समाज में जागरूकता लानी होगी।
इसके पूर्व नौ सुनवाई में ही जज ने सुनायी थी सजा
जेजेबी जज मानवेन्द्र मिश्र ने इसके पूर्व महज नौ कार्यदिवस में ही छह साल की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी किशोर को सजा सुनायी थी। यह सजा भी इसी वर्ष 28 जनवरी को सुनायी गयी थी। पड़ोसी ने ही बहला-फुसलाकर बच्ची को घर ले जाकर दुष्कर्म किया था। देश का यह दूसरा और सूबे का पहला मामला था, जिसमें किसी जज ने महज नौ दिन में ही सजा सुनायी थी।
Ayush Unnikrishnan is a good-natured individual who hails from Jamshedpur in the Indian state of Jharkhand. He had finished his secondary education at the Dav Public School in Bistupur, which is located in Jamshedpur. Currently, he is a student at National University of Study & Research in Law, Ranchi . In addition to his studies, he works at Mashal News as a reporter and anchor.
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