चुनाव सुधार पर चुनाव कानून (संशोधन) 2021 मंगलवार को राज्यसभा में पारित होने के बाद अब सरकार के एजेंडे में आम मतदाता सूची बनाना है। देश में होने वाले सभी प्रकार के चुनावों यानी पंचायत, नगरपालिका, राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के लिए एक समान सूची बनाने के लिए केंद्र सरकार आम मतदाता सूची बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार जल्द ही राज्य चुनाव आयुक्तों के साथ बैठक करने की योजना बना रही है ताकि उन्हें संसद, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक आम मतदाता सूची अपनाने के लिए राजी किया जा सके।
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की ओर बढ़ रहे कदम
इस कोशिश को ‘एक देश-एक चुनाव’ की अवधारणा से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट समझा जाता है इसीलिए सराकर धीरे-धीरे इस तरफ कदम बढ़ा रही है।BJP ने अपने कार्यकर्ताओं से पहले ही कहा है कि वह देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने की योजना पर देशभर में लोगों के बीच जागरुकता फैलाया जाए।
पीएम ने की कई मौके पर इसकी चर्चा
बीते 16 नवंबर को चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और दोनों चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडेय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ जो अनौपचारिक बातचीत की थी उसमें आम मतदाता सूची को लेकर भी चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने 13 अगस्त 2020 में भी इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चुनाव आयोग और विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी।
पीएम मोदी कई मौकों पर एक आम मतदाता सूची बनाने की बात कह चुके हैं। पीएम ने नवंबर 2020 में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अलग-अलग मतदाता सूचियां संसाधनों की बर्बादी हैं।
लोकसभा विधानसभा और स्थानीय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची सही है। एक राष्ट्र एक चुनाव सिर्फ बहस का विषय नहीं है, यह भारत की आवश्यकता भी है।
BJP 2019 के घोषणपत्र में था शामिल
सरकार ने आम मतदाता सूची बनाने को लेकर प्रयास इसलिए तेज कर दिए हैं कि क्योंकि यह 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की घोषणपत्र का हिस्सा था। अप्रत्यक्ष तौर पर यह भाजपा के लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की प्रतिबद्धता से जुड़ा है। सरकार चाहती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस पर एक ठोस कदम उठा लिया जाए।
क्यों है इसकी ज़रूरत?
देश में अलग-अलग चुनावों के लिए अलग-अलग मतदात सूचियां हैं। कई राज्यों में, पंचायत और नगरपालिका चुनावों के लिए जिस मतदाता सूची का प्रयोग किया जाता है वह संसद और विधानसभा चुनावों के मतदाता सूची से अलग होती है। हर बार अलग-अलग मतदाता सूची बनाने में धन और संसाधन दोनों का खर्च होता है। सरकार आम मतदाता सूची और एक साथ चुनावों को खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश करती है।
अलग-अलग मतदाता कई बार कंफ्यूज
इसके पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि दो अलग-अलग मतदाता सूची होने से मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है, क्योंकि कई बार एक मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम मौजूद होता है, जबकि दूसरे में नहीं। जिससे इस काम में लगे कर्मचारियों के प्रयास और खर्च भी दोगुने हो जाते हैं, जबकि एक मतदाता सूची के जरिए भी यह काम हो सकता है।
किन राज्यों में है यह व्यवस्था
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्य स्थानीय निकाय चुनावों के लिए चुनाव आयोग के मतदाता सूची को अपनाते हैं।
पहले भी विचार किया जा चुका है
आम मतदाता सूची का मुद्दा 2002 से ही चर्चा में रहा है। जब न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया ने संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग की अध्यक्षता में पंचायती राज संस्थानों, राज्य विधानसभा और संसद के चुनावों के लिए एक आम मतदाता सूची की सिफारिश की थी।
प्रशासनिक सुधार आयोग ने 2007 में स्थानीय शासन पर अपनी छठी रिपोर्ट में यह कहा था कि स्थानीय सरकार के कानून में यह प्रावधान होना चाहिए कि विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची को अपना सकें।
विधि आयोग ने भी 2015 में अपनी 255वीं रिपोर्ट में इस बात की सिफारिश की थी।
सरकार इसे कैसे लागू करना चाहती है?
पिछले साल 13 अगस्त को जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर चर्चा की थी तो बैठक में दो विकल्पों पर विचार किया गया।
अनुच्छेद 243के और 243जेडए में एक संवैधानिक संशोधन किया जाए जो राज्य निर्वाच आयोग को स्थानीय निकायों के चुनावों के संचालन, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति देता है। इस संशोधन से देश में सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होना अनिवार्य हो जाएगा।
राज्य सरकारों को अपने संबंधित कानूनों में बदलाव करने के लिए राजी किया जाए ताकि नगरपालिका और पंचायत चुनावों के लिए वे भारत निर्वाचन चुनाव आयोग की मतदाता सूची को अपनाएं।
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