सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिए ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया l शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं गुमराह करती हैं और बच्चों में झूठी उम्मीद पैदा करती हैंl
की गई थी ऑफलाइन परीक्षा पर रोक लगाने की मांग
याचिका में सीबीएसई, सीआईएससीई, एनआईओएस व राज्यों में आयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं की ऑफलाइन परीक्षाओं पर रोक लगाने की मांग की गई थी l यह याचिका एक बाल अधिकार कार्यकर्ता और ओडिशा के एक छात्र संघ ने दायर की थी l
याचिका पर विचार, मतलब अधिक कन्फ्यूजन पैदा करना
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि आपकी याचिका पर विचार करने का मतलब है कि और ज्यादा भ्रम पैदा करना l पहले ही आपने जनहित याचिका के नाम पर ये अर्जी दायर कर स्टूडेंट्स व अभिभावकों के बीच भ्रम की स्थिति बना दी है l कोर्ट ने कहा कि आपको जो कहना है ऑथोरिटी को जाकर बताएं l
SC- याचिका कहीं से भी उचित नहीं
वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि आपने पिछले वर्ष भी ऐसी याचिका पर विचार किया गया था l स्थिति अब भी वैसी ही हैं. ऑनलाइन कक्षाएं तो चली हैं, लेकिन सिलेबस पूरा नहीं हुआ l स्टूडेंट्स को स्कूल में नियमित पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला है l वहीं, एससी ने कहा कि बोर्ड और एग्जाम से जुड़ी ऑथोरिटिज को भी सारी जानकारियां हैं l हमारे हस्तक्षेप करने का कोई मतलब नहीं है l ये याचिका कहीं से भी भी उचित नहीं है l आप पर तो आर्थिक दंड भी लगना चाहिए, लेकिन अभी हम इसे सिर्फ खारिज कर रहे हैं l
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