बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक’ के साथ सहमत दिखाई दिए। संसद ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ को पारित कर चुकी है। इस विधेयक को विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री यहां अपने साप्ताहिक जनसंपर्क कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात कर रहे थे। विवादास्पद विधेयक के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, “इस तरह का कानून पारित करना संसद का विशेषाधिकार है। एक बार पारित होने के बाद सभी को इसका पालन करना होगा।’’
क्या है इस विधेयक में ?
इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं।
नीतीश ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि एक बार जब यह विधेयक कानून बन जाएगा तो इसके क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होंगे ताकि इसके दुरुपयोग की ज्यादा गुंजाइश न रहे। लेकिन अपराधों में शामिल लोगों के रिकॉर्ड को कब्जे में लेना जरूरी है।’’ कुमार कांग्रेस और टीएमसी जैसे विपक्षी दलों के इस तर्क से भी असहमत दिखे कि बिल में दखल देने वाले प्रावधान हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा मेंटेन किया जाएगा
एकत्र किए गए रिकॉर्ड को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा मेंटेन किया जाएगा। इसे लेकर कुछ क्षेत्रीय दलों को डर है कि इससे उन राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है, जो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
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