मुजफ्फरपुर पुलिस एक बार फिर से अपने कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। मामला अखडाघाट रोड के दिव्यांग प्रशांत कुमार उर्फ पप्पू का है। वे पिछले 12 साल से बेड पर हैं। शरीर के नीचे का आधा हिस्सा काम नहीं करता है। इसके बावजूद बिना जांच पड़ताल के पुलिस ने उनपर रंगदारी मांगने और मारपीट करने का FIR दर्ज कर दिया। दूसरे पक्ष के दिनेश गुप्ता ने दिव्यांग समेत अन्य पर 20 लाख रुपये रंगदारी मांगने का केस बीते साल नवंबर में कराया था।
यह पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है कि जो व्यक्ति बेड से 12 साल से उठा नहीं। वह रंगदारी कैसे मांग सकता है। जब पीड़ित पक्ष की तरफ से थाना में आवेदन दिया गया तो पुलिस ने मामला को दबा दिया। उनके आवेदन पर केस दर्ज नहीं हुआ। मामला यहीं पर समाप्त नहीं होता। पीड़ित व्यक्ति के मकान पर कुछ दबंगो की गलत नजर है। वे इसे हथियाने की फिराक में हैं।
फर्जी तरीके से बेचने का आरोप
पीड़ित बताते हैं कि उनके पट्टीदार ने फर्जी तरीके से मकान का आधा हिस्सा बेच दिया। जबकि मामला कोर्ट के अधीन है। अब जिससे जमीन बेचा था उसने किसी और के नाम एग्रीमेंट कर दिया। वह व्यक्ति उनके मकान पर कब्जा करना चाह रहा है। पिछले महीने उनके मकान पर कब्जा करने की कोशिश भी की गई। जेसीबी चलाकर मकान को ढ़हाने का प्रयास किया। रोड पर से उनके घर पर जमकर पत्थरबाजी भी की। फायरिंग भी की गई। घर के शीशे टूट गए। इसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंच गई। जिससे जेसीबी लेकर मौके से सभी भाग गए।
केस दर्ज कराने को काट रहे थाना के चक्कर
मामला शांत हुआ और पीड़ित के परिवार ने थाना में एक बार फिर से केस दर्ज करने के लिए आवेदन दिया तो पुलिस टालमटोल करने लगी। दो सप्ताह बीतने के बावजूद केस दर्ज नहीं हुआ। पीड़ित का आरोप है कि उल्टा पुलिस उनपर दवाब बना रही है कि FIR में से एक व्यक्ति का नाम हटा दीजिये। तब केस दर्ज होगा। पीड़ित के इनकार करने पर केस नहीं दर्ज किया गया। वरीय अधिकारियों से भी शिकायत की। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। SSP जयंतकांत ने कहा कि थानेदार को मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
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