
वैश्विक जल संकट और संरक्षण
विश्व जल दिवस पर प्रस्तुत है डॉ. संतोष कुमार, प्राध्यापक- (भूगोल विभाग) लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल महाविद्यालय, जमशेदपुर तैयार यह विशेष आलेख.
दुनिया भर में भू-जल (Groundwater) एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, जो पेयजल, कृषि सिंचाई और औद्योगिक उपयोग में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, अत्यधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन के कारण भूजल स्तर में गिरावट आ रही है, जिससे जल संकट की संभावना बढ़ रही है।
वैश्विक भू-जल स्थिति
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 71% जलभृतों (Aquifers) में भूजल स्तर में गिरावट देखी गई है। अधिकांश भूजल का उपयोग कृषि में होता है, लेकिन अंधाधुंध निष्कर्षण के कारण कई क्षेत्रों में जल स्तर में तेज गिरावट आई है।
1. वैश्विक जल संकट का परिदृश्य: जल संकट पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जल स्रोतों की कमी, जलवायु परिवर्तन, और अधिक जनसंख्या के कारण पानी की उपलब्धता पर दबाव बढ़ रहा है। इस समस्या का समाधान जल संरक्षण, प्रबंधन और जल स्रोतों के संरक्षण के माध्यम से ही संभव है।
पानी की उपलब्धता
2. जल संकट से प्रभावित क्षेत्र: 60% से अधिक विश्व जनसंख्या ऐसे क्षेत्रों में रहती है, जहां पानी की उपलब्धता कम है। 2.1 अरब लोग ऐसे हैं जिन्हें सुरक्षित और साफ पानी उपलब्ध नहीं है। (WHO/UNICEF, 2017)I जल की गंभीर कमी वाले देशों में भारत, पाकिस्तान, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुछ क्षेत्र शामिल हैं।
3. जल का अत्यधिक उपयोग: वैश्विक स्तर पर, 20% जल कृषि क्षेत्र में उपयोग होता है, जो जल की मांग का एक बड़ा हिस्सा है। 70% जल का उपयोग कृषि में किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से सिंचाई के लिए पानी का उपयोग किया जाता है।
4. जलवायु परिवर्तन और जल संकट: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे बारिश के पैटर्न में बदलाव और सूखा जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इससे जल संसाधनों की उपलब्धता और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
5. जल संरक्षण के उपाय
a. वृष्टि जल संचयन: वर्षा के पानी को संचित करके भविष्य में उपयोग किया जा सकता है।
b. जल पुनर्चक्रण: जल को साफ करके पुनः उपयोग करने की प्रक्रिया, जैसे कि रीसायकलिंग।
c. स्मार्ट सिंचाई प्रणाली: ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है।
d.. संवेदनशीलता और शिक्षा: लोगों में जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और अभियान चलाना आवश्यक है।
6. भारत में जल संकट
भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यहां की कई प्रमुख नदियाँ सूखने की कगार पर हैं और पानी की भारी कमी हो रही है। 2018 में भारत के जल संसाधन मंत्रालय ने कहा था कि भारत की लगभग 60% नदियाँ सूखने के संकट का सामना कर रही हैं।
7. आंकड़े और आंकलन: 2030 तक, भारत को भारत के 50% जल स्रोतों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। (NITI Aayog रिपोर्ट, 2018)I 1.3 बिलियन लोग पहले से ही जल संकट से प्रभावित हैं। भारत में 600 मिलियन लोग पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।
भारत में भू-जल स्थिति और उपयोग
भारत में निकाले गए कुल भूजल का लगभग 89% कृषि सिंचाई में उपयोग किया जाता है, जबकि घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए क्रमशः 9% और 2% भूजल का उपयोग होता है। जिससे कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में गिरावट आई है। कुछ राज्यों में भूजल विकास का स्तर 100% से अधिक है, जैसे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान, जो अत्यधिक दोहन को दर्शाता है। कुल निकाले गए भूजल में से 50% शहरी और 85% ग्रामीण घरेलू जल आवश्यकताओं को पूरा करता है।
भू-जल स्तर में गिरावट
भारत के लगभग 63% जिले भूजल स्तर में गिरावट से प्रभावित हैं। 54% भूजल कुओं में जल स्तर में कमी आई है, और 2020 तक 21 प्रमुख शहरों में भूजल स्तर में अत्यधिक गिरावट की आशंका है।
भूजल दोहन की स्थिति: भारत विश्व में भूजल का सबसे अधिक दोहन करने वाला देश है, जहां प्रतिवर्ष लगभग 253 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल निकाला जाता है, जो वैश्विक भूजल निकासी का लगभग 25% है। 6,584 मूल्यांकन इकाइयों में से 1,034 को ‘अत्यधिक दोहनित’ और 253 को ‘संकटग्रस्त’ माना जाता है।
भू-जल गिरावट के कारण
1. अत्यधिक निष्कर्षण: कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन, जिससे पुनर्भरण की तुलना में अधिक जल निकाला जा रहा है।
2. कृषि में जल-गहन फसलों का cultivo: पानी की अधिक खपत वाली फसलों की खेती के कारण भूजल स्तर में गिरावट।
3. जलवायु परिवर्तन: वर्षा पैटर्न में बदलाव और सूखा जैसे प्राकृतिक कारक भूजल पुनर्भरण को प्रभावित करते हैं।
समाधान के प्रयास
a. भूजल पुनर्भरण: वर्षा के पानी को जलभृतों में पुनः प्रवेश कराने के लिए वर्षा जल संचयन और पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण।
b. सामुदायिक जागरूकता: स्थानीय समुदायों को जल संरक्षण और सतत उपयोग के प्रति जागरूक करना।
c. सरकारी योजनाएँ: अटल भूजल योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भूजल प्रबंधन और संरक्षण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
अभियान और योजनाएं
• अटल भूजल योजना: 7 राज्यों के कुछ हिस्सों में इस योजना के माध्यम से समुदाय आधारित भू-जल प्रबंधन और मांग प्रबंधन किया जा रहा है।
• जल शक्ति अभियान: 2019 से सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के साथ जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें जल शक्ति केंद्रों के माध्यम से जल संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।
• भू-जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण) विधेयक: 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इस विधेयक को अपनाया है, जो भू-जल के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए एक नियामक ढांचा प्रदान करता है।
जल संकट एक गंभीर समस्या
भूजल संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। जल संकट एक गंभीर समस्या है जो सभी देशों को प्रभावित करती है। जल संरक्षण के उपायों को लागू करना, लोगों को जागरूक करना और नई तकनीकों को अपनाना इस संकट से निपटने के लिए जरूरी है। जल की बचत और कुशल प्रबंधन ही इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता है। भारत में भूजल (Groundwater) संसाधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हाल के दशकों में इनकी स्थिति चिंताजनक रही है। इन प्रयासों के माध्यम से भारत में भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
आलेख
डॉ. संतोष कुमार का
(प्राध्यापक, एलबीएसएम कॉलेज जमशेदपुर )

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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