जलवायु परिवर्तन की गंभीरता पर जोर देते हुए सभी को समाधान का हिस्सा बनने का आह्वान
“सोलर मैन ऑफ इंडिया” के नाम से प्रसिद्ध प्रो. चेतन सिंह सोलंकी 7 से 11 सितंबर के बीच अपनी ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ के तहत जमशेदपुर में हैं। प्रो. सोलंकी ने जलवायु परिवर्तन की गंभीरता पर जोर देते हुए सभी को समाधान का हिस्सा बनने का आह्वान किया। उन्होंने यह बात सीआईआई यंग इंडियंस द्वारा आयोजित “ऊर्जा साक्षरता” पर एक इंटरएक्टिव सत्र में कही। यह कार्यक्रम सोमवार को सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया, जिसमें जमशेदपुर के 60 से अधिक स्कूलों के 90 शिक्षकों ने भाग लिया।
आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर और एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. सोलंकी ने ऊर्जा की बचत के लिए ‘एएमजी सिद्धांत’ — बचाव, न्यूनतमकरण और उत्पादन — का पालन करने पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारणों और समाधान पर चर्चा की और संकट के समाधान के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने पर बल दिया।
जीवाश्म ईंधन से 80-85% ऊर्जा का उत्पादन होता है
उन्होंने चेतावनी दी कि जीवाश्म ईंधन से 80-85% ऊर्जा का उत्पादन होता है और हमारा ग्रह पहले ही औद्योगिक युग से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो चुका है। इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, क्योंकि इसके बाद बदलाव अपरिवर्तनीय हो जाएंगे।
स्थानीय ऊर्जा उत्पादन को ‘एनर्जी स्वराज’ के हिस्से के रूप में अपनाने पर जोर
प्रो. सोलंकी ने एक ‘क्लाइमेट क्लॉक’ प्रस्तुत की, जिसमें दिखाया गया कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के खतरे को रोकने के लिए केवल 4 साल 316 दिन बचे हैं। उन्होंने ऊर्जा उपयोग को कम करने के व्यावहारिक उपाय बताए और यह भी बताया कि कैसे रोजमर्रा की गतिविधियाँ, जैसे कपड़े खरीदना या इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करना, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। उन्होंने सभी से ऊर्जा खपत को एक-तिहाई तक कम करने का आग्रह किया और सौर ऊर्जा पर अत्यधिक निर्भरता से भी सावधान रहने की सलाह दी, स्थानीय ऊर्जा उत्पादन को ‘एनर्जी स्वराज’ के हिस्से के रूप में अपनाने पर जोर दिया।
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का प्रभाव 300 वर्षों से अधिक समय तक रहता है
उन्होंने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का प्रभाव 300 वर्षों से अधिक समय तक रहता है। कार्यक्रम में शिक्षकों और यंग इंडियंस के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी रही, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने और सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए ‘एनर्जी स्वराज’ आंदोलन को जन आंदोलन बनाने का संकल्प लिया।
प्रो. सोलंकी नवंबर 2020 से एनर्जी स्वराज यात्रा पर हैं, जिसमें वह जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक सौर ऊर्जा संचालित बस में यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने गांधीवादी विचारों का पालन करते हुए “एनर्जी स्वराज” की अवधारणा को बढ़ावा दिया है और लाखों भारतीय परिवारों तक स्वच्छ ऊर्जा का संदेश पहुंचाया है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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