“विज्ञान और विज्ञान की विकास से प्राप्त होने वाला हमें ज्ञान”, हमारें लिए प्रेरणास्रोत एवं ज़िन्दगी को आसान कर देने वाला है। लेकिन आजकल की इस तकनीकी युक्त मॉर्डन ज़िन्दगी में हम कुछ ज़्यादा ही स्वयं की स्वार्थ पर हावी हो गए हैं। जिसमें हम सभी के पास पर्यावरण संरक्षण के लिए सोचने तक का समय भी नहीं है। लोग इसी पर्यावरण के परिवेश में रहकर ख़ुद की संरक्षण अपने जीवन की हर आयु में बखूबी कर रहें है, लेकिन बीमार होता हुआ पर्यावरण के बारे में कोई भी बात नही करता।
आज बढ़ती जनसंख्या ने शहरीकरण को तो बढ़ावा दिया है मगर इस शहरीकरण ने “ना शुद्ध हवा छोड़ी हैं और ना ही परिन्दों के लिए जगह”। हम मानव कल्याण की बात करते हैं पर यह भूल जाते हैं कि इस पृथ्वी पर मानव के अलावा अन्य जीव-जन्तु और पेड़-पौधों का भी वास ही, जो हमारें तरह ही सजीव है। एक संतुलित पर्यावरण तब ही मुमकिन हैं, जब हम पृथ्वी पर रहने वाले सभी सजीव को सुचारू रूप से उनका स्थान उनके लिए सदैव के सुरक्षित रखें।
आज विकास के मानदंड बनाये जाते है एवं उनमें नए औधोगिकरण और शहरीकरण के साथ पर्यावरण संरक्षण की महत्व को बहुत ही सुंदरता के साथ लिखा जाता है। लेकिन कई बातें सिर्फ़ लाभ के लिए लिखी जाती है, पर ज़मीनी हकीकत हम सभी को नज़र आता है कि इस नए युग में लाभ के आगे पर्यावरण की चेतना कही मृत-सी दिखाई देती है। आज भू-जल इतिहास के सबसे निम्न स्तर पर आ पहुँचा है। शहरी प्रदूषण सभी सजीवों के लिए बड़ा खतरा है।
दूषित होता जल सभी को दिखाई देता है परन्तु कोई भी इस पर ठोस क़दम क्यों नही लिया जाता है? ज़िम्मेदार इन सब मसलों की योजना तो बनाते हैं लेकिन पता नहीं शायद योजनाओं को ज़मीन पर उतारना क्यों भूल जाते है। हमें पर्यावरण को नुकसान देने वालें हर उस वस्तु का विकल्प तलाशना चाहिए, और यैसा नही हैं कि विकल्प उपस्थित नही है। अगर हमनें विज्ञान से विकास किया हैं तो उसी विज्ञान की ज्ञान यह तलाशने की क्षमता रखती हैं कि पर्यावरण पर आज हो रहें अत्याचार का उपचार क्या है।
हाँ, मानव जीवन चक्र सुचारू रूप से चले इसके लिए विकास ज़रूरी है, परन्तु विकास की अवधारणा अगर पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हुई तो इसका फ़ल भी मानव जाति समेत पर्यावरण में रह रहें हर जीव को भुगतना पड़ेगा। हमें विकास की नई रेखा खिंचने से पूर्व यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि विकास के लिए अपनाई गई अवधारणा से किसी भी प्रकार का नुकसान उठाना ना पड़े। अगर नुकसान हो भी तो अल्प हो एवं उसकी भड़पाई अति शीघ्र की जा सकें।
अगर हम आँकड़ो की तरफ़ जाए तो वर्ष 2019 में पूरे विश्व भर में 90 लाख लोगों की मौते वायु प्रदूषण से हुई है, जिसमें अकेले भारत में 16.7 लाख लोगो की जानें गई है। यही नहीं ध्वनिप्रदूषण की वज़ह से तकरीबन 6 करोड़ भारतीयों के सुनने की क्षमता पर असर पड़ा है, और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं नदी और समुद्र के जल भी बहुत-ही तेज़ी से दूषित हो रही है अगर इन्हें ना रोका गया तो जल प्रलय हमारें बहुत ही निकट है।
महानगरों में स्वच्छ वायु मिलना अब लगभग अंसभव-सा लगता है। दूषित वातावरण के कारण महानगरों के लोगों में मास्क का इस्तेमाल बहुत-ही तेज़ी से बढ़ा है। अत्याधिक कार्बन उत्सर्जन से तापमान में व्रद्धि हो रही है। सबसे अत्याधिक कार्बन उत्सर्जन उधोगों एवं आवागमन में प्रयोग होने वाले वाहनों द्वारा हो रहें है, इसके साथ ही घर एवं दफ़्तर में उपयोग होने वाले एयर कंडीशन से भी हों रहा है। यूँ समझिये कि हम एक स्वच्छ वातावरण से दूर एक कंक्रीट के जंगल में रह रहे है।
लोग अपने घरों को तो साफ-सुथरा रखते है और बाहर गन्दगी फैलाते है। हमें ये समझना चाहिए कि ये पूरी पृथ्वी ही हमारा घर है और यहाँ रहने वाले हर एक प्राणी इस पृथ्वी परिवार का सदस्य है। हम इस पर्यावरण को तब ही संरक्षित रख सकते है, जब हम सब इस मसले को लेकर जागरूक होंगें एवं जागरूकता फैलाएँगे।
अगर देखा जाए तो इस मॉर्डन युग में भी कोई इस पर्यावरण को संरक्षित कर रहा हैं तो वो हमारें आदिवासी भाई-बहन हैं, जिन्होंने इस नए युग से ख़ुद को दूर रख कर अपने पारंपरिक जीवन को बरकरार रखा है। जिन्होंने अपने विकास की अवधारणा को नए सिरे से लिखा, जिन्होंने संसार को यह बताया कि किस तरह हम बगैर तकनीकी वस्तु का प्रयोग किए बिना भी दिनचर्या को सुचारू रूप से संचालित कर सकते है। इस पृथ्वी पर जहाँ कहीं भी हमें शोभन नज़र आती हैं तो वह हमारे आदिवासी भाईयो-बहनों की देन है। इस सृष्टि में अगर आखिर तक भी सत्यम, शिवम, सुन्दरम रहेगा तो यह सब इन्हीं लोगों के कोशिशों से ही संभव होगा। बेहतर तो यही होगा कि लोग अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें और ज़िम्मेदारी निभाए।
By Rishabh Rahul
Advertisements
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!