Mental Health: बॉलीवुड में कई बार सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के अलावा स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर भी कुछ ऐसी फ़िल्में बनाई जाती है जिसे या तो नजरअंदाज कर दिया जाता है या जिनको लेकर लोगों की सोच को बदलना काफी जरूरी हो जाता है. कई प्रकार के मानसिक रोग (Mental Illness) भी इसी श्रेणी में आते हैं, जिनके मरीज या तो लोगों के मजाक का कारण बनते हैं या वे एक कुंठित और दुखी जीवन जी रहे होते हैं।
एक दुर्घटना से होती है बीमारी का शिकार
हाल ही में आई फिल्म अतरंगी रे (Atrangi Re) के बारे में आपको सुनकर ये लग रहा होगा कि ये मूवी एक लव ट्राएंगल बेस्ड मूवी है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। असल में सारा अली खान (Sara Ali Khan) इस फिल्म में एक बीमारी का शिकार हो जाती है बचपन में अपने माता-पिता को जिंदा जलता देख वो सदमे में चली जाती है और खुद को अपनी माँ की तरह समझकर अपने पिता को अपना प्रेमी समझ जाती है।
देखा जाए तो इस फिल्म में सारा यानी रिंकू बचपन में ही ठीक हो सकती थी लेकिन उसके साथ भी वही सब होता रहा था जो उसकी माँ के साथ होता था इसलिए वो कभी इस बीमारी से उभर नहीं पाई। इसी मानसिक रोग चलते वह आम लड़की की तरह नहीं रहती. उसे हीरो अक्षय कुमार (Akshay Kumar) यानि सज्जाद (Sajjad) के होने का मतिभ्रम रहता है. जिसकी वजह से उसे पागल भी समझा जाता है और उसका जीवन काफी उथल-पुथल भरा रहता है.
जानना नहीं चाहेंगे क्या है वो बीमारी ?
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आख़िर इस फिल्म में सारा को कौन सा रोग था और ये है क्या ? क्या ये रोग सच में आम लोगों को भी हो सकता है ? अगर हाँ तो क्या है इसके लक्षण और ईलाज चलिए जानते है आगे-
दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बेहेवियर एन्ड अलाइड साइंसेज (IHBAS) के डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री के जाने-माने प्रोफेसर डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि अतरंगी रे (Atrangi Re) में सारा अली खान के लिए जिस बीमारी का जिक्र किया गया है वह साइकोसिस बताई गई है,
जबकि साइकोसिस एक बीमारी का भंडार जैसा है, जिसमें कई मानसिक रोग आते हैं और शिजोफ्रेनिया काफी अलग बीमारी है. मेडिकल साइंस के अनुसार देखें तो सारा को विजुअल हेलुसिनेशन Visual Hallucination) यानि दृश्य मतिभ्रम की समस्या है. इसमें न होते हुए भी उसे सज्जाद दिखाई देता है.
क्या है विजुअल हेलुसिनेशन यानि दृश्य मतिभ्रम
इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बेहेवियर एन्ड अलाइड साइंसेज के प्रोफेसर साइकेट्री डॉ. ओमप्रकाश बताते हैं कि विजुअल हेलुसिनेशन मानसिक बीमारी का ही एक लक्षण है. हालांकि ऑर्गनिक साइकोसिस (Organic Psychosis) में यह बहुत रेयर यानि बहुत ही मुश्किल से किसी मामले में होता है.
ऐसे मामले बहुत कम आते हैं. विजुअल हेलुसिनेशन एक ऐसी अवस्था है जब मरीज को किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थिति का आभास होने लगता है और दिखाई देने लगता है, जबकि वास्तव में वह चीज, व्यक्ति या स्थिति उसके आसपास नहीं होती है. मरीज इसी अहसास में खोया रहता है.
उसे लगता है कि व्यक्ति उससे बात कर रहा है, वह उसके आसपास मौजूद है, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. ये आभास या धारणा, मरीज के तंत्रिका तंत्र संबंधी, नेत्र रोग संबंधी या मनोरोग की स्थिति में पैदा होती है. जिसकी जानकारी होने के बाद इसका इलाज मनोचिकित्सा में ही किया जाता है.
इस बीमारी का इलाज क्या है?
इसे लेकर डॉक्टरों का कहना है कि इसकी पहचान जितनी जल्दी होगा, ट्रीटमेंट उतना ही जल्दी शुरू होगा. इसके साथ ही पेशेंट को मिलने वाला सोशल सपोर्ट, उसकी फैमिली लाइफ भी उसके ट्रीटमेंट के लिए मायने रखती है.
रोगी किसी तरह के नशा का आदी न हो और सही समय पर डॉक्टर से इलाज कराने पर वो जल्दी ठीक हो सकता है. इस बीमारी का इलाज मनोवैज्ञानिक द्वारा ही किया जा सकता है. इस बीमारी के मरीजो को काउंसलिंग, हिप्नोसिस और दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है.
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