नैना जायसवाल (यामी गौतम), एक 30-पूर्व-पूर्व शिक्षिका है, जो मुंबई पुलिस और मीडिया को उत्तेजित करती है, जब उसने घोषणा की कि उसने अपनी नर्सरी से 16 बच्चों को बंधक बना लिया है। वह चेतावनी जारी करती है। जब तक सुपर कॉप जावेद खान (अतुल कुलकर्णी) उसकी मांगों की सूची को पूरा नहीं करता, तब तक प्रत्येक बच्चे को अपनी जान गंवानी पड़ती है। नैना और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल ही फिल्म की कहानी।
बॉलिवुड में महिलाओं के सशक्त किरदार लिखे जा रहे हैं, जिसमें देखा जाये तो डायरेक्टर बेहजाद खंबाटा ने फिल्म के लिए यामी गौतम का भी एक मजबूत किरदार लिखा है। यामी अपने करियर में पहली बार इतनी सशक्त भूमिका में नजर आ रही हैं।
फिल्म की कहानी तो अच्छी है लेकिन कहीं-कहीं पर स्क्रीनप्ले कमजोर लगता है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और स्लोमोशन के क्लोज-अप शॉट्स बचकाने लगते हैं।आपको फिल्म की कहानी का अहसास पहले से ही होता है लेकिन फिर भी यह फिल्म आपको प्रभावित करने की क्षमता रखती है। यामी गौतम ने नैना के किरदार में जान डाल दी है लेकिन कहीं-कहीं वो थोड़ी कमज़ोर दिखी है लेकिन फिर भी वह अपने किरदार जरूरत के हिसाब से खुद को ढाल लेती हैं। डिंपल कपाड़िया और नेहा धूपिया के किरदार फिल्म में महत्वपूर्ण हैं और उन्होंने पावरफुल परफॉर्मेंस दी है। अतुल कुलकर्णी के टैलंट पर आप कभी भी सवाल ही नहीं उठा सकते हैं क्योंकि उन्हें जो किरदार दिया गया है उसे उन्होंने पर्फेक्ट तरीके से निभाया है। हॉस्टेज ड्रामा वाली फिल्में पसंद हों और यामी गौतम के फैन हैं तो मिस न करें।
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