बिजनस की राह में अगर कोई तरक्की करना चाहता है तो उसके पास कोई इनोवेटिव आईडिया होना चाहिए तभी वो एक सक्सेस को हासिल करता है. सफलता का आसमान बांहे फैलाकर उसका इंतज़ार करता है.कुछ ऐसी ही कहानी है सुपर कैसेट गुलशन कुमार की.
बिजेनस आईडिया की बदोलत उन्होंने फ़र्स से अर्श तक का सपना तय किया,लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनकी हत्या कर दी गई और एक इंसान हमेशा के लिए लोगों की यादों में बस गया. आज हम बतायेंगे गुलशन कुमार मर्डर मिस्ट्री की पूरी कहानी. गुलशन कुमार की कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली से, दिल्ली के नोयडा में जहाँ आज फिल्म सिटी है, वहां पर सबसे पहले बिल्डिंग टी- सीरीज की बनी थी. सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज का बना था, जिसे गुलशन कुमार ने ही बनवाया था. आज यहाँ गुलशन कुमार के 2 स्टूडियो और सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज का दफ्तर भी है.
गुलशन कुमार के साथ कई लोगों ने काम किया
स्टूडियो में आज भी फिल्मों की शूटिंग होती है. म्यूजिक एल्बम बनते है.बात 80 के दशक की है. दिल्ली के दरियागंज में गोलछा सिनेमा के पास एक जूस की दूकान हुआ करती थी.बचपन में गुलशन कुमार जूस की दूकान में बैठा करते थे. धीरे -धीरे जब उनकी तरक्की हुई तो गुलशन कुमार के पिता ने एक बड़ी दूकान खरीद ली, जिसमे कैसेट और टेप रिकॉर्डर बेचने के साथ-साथ रिपेयरिंग का भी काम चलता था.
यहाँ काम करते हुए गुलशन कुमार ने कैसेट इंडस्ट्रीज में जाने के बारे में सोचा. उस समय गाने ग्रामाफोने रिकॉर्ड पर बाज़ार में बिकते थे जो काफी महंगा आता था. गुलशन कुमार इस आईडिया के तलाश में थे कि किस तरह सस्ता कैसेट बाज़ार में लाया जाये. उन्होंने नोयडा में एक स्टूडियो तैयार किया. छोटे-छोटे कैसेट बनाना शुरू किया. उस समय जब किसी कलाकार को मौका नहीं मिलता था वो उसे लेकर धार्मिक गाने बनाते थे और उन धार्मिक गानों की कैसेट बनाकर उसे मार्केट में बेचा करते थे.
गुलशन कुमार की एक कैसेट काफी सस्ती हुआ करती थी. ये उनका इनोवेटिव आईडिया था. जिसने म्यूजिक इंडस्ट्री उन्हें सफलता दिलाई. उनके धार्मिक गानों के कैसेट बाज़ार में ज़ोर-शोर से बिकने लगे. इसी तरह उन्होंने दिल्ली से मुंबई में बॉलीवुड तक का सफ़र तय किया. गुलशन कुमार के साथ कई लोगों ने काम किया. टी-सीरिज कंपनी ने लता मंगेशकर, कुमार सानु, सोनू निगम और भी कई सारे गायक बॉलीवुड को दिए. गुलशन कुमार का एक सिद्धांत था कि वो सक्सेस किये गायक के साथ कभी काम नहीं करते थे.
नदीम को लगा कि गुलशन कुमार उनका करियर खत्म करना चाहते है
गुलशन कुमार हमेशा नए लोगों को मौका देते थे. इसी तरह उन्होंने नदीम श्रवण को मौका दिया. बॉलीवुड इंडस्ट्री में इन संगीतकार की जोड़ी हर किसी को पसंद आती थी. देखते ही देखते सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज ने म्यूजिकल मार्केट में अपना दबदबा 60% तक बना लिया. मुंबई में उन्होंने म्यूजिकल राइट्स भी लेना शुरू कर दिया.
1990 में आई आशिकी फिल्म के गानों को लोगों के खूब पसंद किया. इसका फिल्म का संगीत नदीम श्रवण ने दिया था. नदीम श्रवण भी रातों-रात एक जाना-माना नाम बन गये. लेकिन गणों के डायरेक्शन के साथ -साथ उन्हें गाने का भी शौक चढ़ा. जबरदस्ती उन्होंने अपने गाने गुलशन कुमार से प्रमोटे करवाने चाहे लेकिन गुलशन कुमार ने एक बार उन्हें प्रमोटे कर बाद में उनके गानों को प्रमोटे करना छोड़ दिया.
ऐसे में नदीम को लगा कि गुलशन कुमार उनका करियर खत्म करना चाहते है. ये सारे फैक्ट्स उनकी मौत के बाद अदालत में सामने आ चुके है. कहा जाता है कि गुलशन कुमार को अंडर वर्ल्ड से पैसों के लिए कॉल आता है. जिसके बाद वो उन्हें पैसे दे भी देते है. अंडर वर्ल्ड से नदीम का भी संबंधन था ऐसा माना जाता है. बार -बार पैसे देने से तक आकर उन्हें अंडर को पैसे देना बंद कर दिए. लेकिन इसकी सुचना उन्होंने पुलिस को भी नहीं दी. किशन कुमार ने ये सारी बातें पुलिस को गुलशन कुमार की हत्या के बाद बताई.
उनके शरीर में 16 गोलियां दागी गईं
12 अगस्त 1997 मुंबई के जुहू में जीत नगर स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर सुबह-सुबह तीन शूटरों ने गुलशन कुमार को गोलियों से छलनी कर दिया। उनके शरीर में 16 गोलियां दागी गईं। अब्दुल रऊफ मर्चेंट इन शूटरों में से एक था। गुलशन कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अबू सलेम ने गुलशन कुमार को मारने की जिम्मेदारी दाऊद मर्चेंट और विनोद जगताप नाम के दो शार्प शूटरों को दी थी।
9 जनवरी 2001 को विनोद जगताप ने कुबूल किया कि उसने ही गुलशन कुमार को गोली मारी थी। उन तीनों को उनकी हत्या के लिए 25 लाख रूपये दिए गये थे जो tips कंपनी के मालिक ने उन्हें दिए थे. पुलिस ने रमेश तौरानी के साथ 19 लोगों को गिरफ्तार किया. दाऊद मर्चेंट को उम्र कैद की सजा हुई. बाकि नदीम को आज तक पुलिस हिरासत में नहीं ले पाई क्योकि गुलशन कुमार की मौत की योजना बनाकर वो अपनी फैमिली के साथ UK में शिफ्ट हो गया था.
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