प्रथम पुरस्कार के रूप में दिए गए एक प्रशस्ति-पत्र और नकद 10 हज़ार रुपए
समारोह की मुख्य अतिथि संताली अभिनेत्री व पश्चिम बंगाल की वन एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री वीरबाहा हांसदा
सोनारी स्थित ट्राइबल कल्चर सेंटर में आल इंडिया संथाली फ़िल्म एसोसिएशन (AISFA) के तत्वावधान में 5th INDIGENOUS NATIONAL Short Film Festival का कल 9 अप्रैल को रंगारंग समापन हुआ. इस समारोह की मुख्य अतिथि संताली फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री रह चुकी और वर्त्तमान में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार वन एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री वीरबाहा हांसदा के हाथों कलाकारों को पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किया गया.
8 अप्रैल को प्रारम्भ इस लघु फिल्मोत्सव में कुल 12 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म रही संथाली लघु फिल्म “हाय रे लॉकडाउन.” दूसरे स्थान पर रही फिल्म बाजार कामी, जिसे प्रशस्ति-पत्र के साथ मिली 7 हज़ार रुपए की नकद राशि. इस दौरान कई जाने-माने फिल्म कलाकार, निर्माता, निर्देशक समेत सैकड़ों की संख्या में कला-प्रेमी दर्शक मौजूद थे. सम्मान एवं समापन समारोह के दौरान कलाकारों ने मोहक नृत्य प्रस्तुत किए. इस फेस्टिवल में संथाली समेत मुंडारी, हो, नागपुरी, कुड़माली, कुडुख आदि भाषाओँ की फ़िल्में देखी गईं.
AISFA का बड़ा प्रोग्राम अब कोलकाता में भी करवाने की कोशिश करूंगी-बीरबाहा हांसदा
लघु फिल्म महोत्सव की मुख्य अतिथि बीरबाहा हांसदा ने अपने संबोधन में बड़े भावुक होकर तमाम कलाकरों से अपने समाज, भाषा-संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देने की अपील की और कहा, “मैं इस फेस्टिवल को काफी मिस कर रही थी. आगे भी करूंगी, क्योंकि अब मेरी जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं. स्वयं के लिए भी समय नहीं निकाल पाती हूं. बीरबाहा ने कहा कि आने वाले समय में मैं कोशिश करुँगी कि कोलकता में क्षेत्रीय भाषाओं का फिल्म फेस्टिवल बड़े और भव्य तरीके से आयोजित किया जा सके. इसके लिए मैं ममता दीदी से बात करूंगी.”
AISFA का मकसद है क्षेत्रीय भाषा के कलाकारों को प्रोत्साहित करना-रमेश हांसदा
इस दौरान AISFA के प्रेसिडेंट रमेश हांसदा ने कहा कि दो साल कोरोना के कारण सभी को काफी तकलीफें हुईं. कई लोग काल-कवलित हुए. कलाकार भी तकलीफ़ में रहे, लेकिन कलाकारों की रचनाधर्मिता तब भी जिंदा थी. फेस्टिवल में प्रथम आई शॉर्ट फिल्म “हाय रे लॉकडाउन” का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कई लोगों के साथ कोरोनाकाल में ऐसी घटनाएं हुई होंगी. मेरे परिवार के साथ भी घटी. मेरे अपने चले गए, पर उन्हें कांधा देने वाला कोई नहीं था. इस कोरोना ने हमसे अपनों को छीना.” रमेश हांसदा ने आगे कहा कि AISFA का मकसद है क्षेत्रीय भाषा के कलाकारों को प्रोत्साहित करना. उन्होंने इस समारोह में आई बीरबाहा का आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद ज़ाहिर की, कि आगे भी वे कलाकारों का साथ देंगी.
फेस्टिवल के अंतिम चरण में संथाली फिल्म और साहित्य जगत के कई विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया गया. इससे पूर्व फेस्टिवल के प्रथम दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू के चित्र के सामने दीप जलाकर अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.
इस समारोह में खास तौर पर संथाली फिल्मों के वरिष्ठ अभिनेता और निर्माता-निर्देशक दशरथ हांसदा, वरिष्ठ अभिनेत्री और निर्माता-निर्देशक गंगारानी थापा, सुपर स्टार लखन सोरेन, राजूराज बिरुली, अभिनेता-निर्देशक सुरेन्द्र टुडू, फुलमनी सोरेन, सोनी मुर्मू, सुरेन्द्र टुडू (सीनियर), पिंकी मुंडा, निर्माता राजू मित्रा, संजय सतपथी समेत कई अन्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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