डेटा उपलब्ध कराने में 30 जून तक का समय क्यों ?
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार इलेक्टोरल बॉण्ड सम्बन्धी जानकारी मुहैया करने की तय समय-सीमा थी 6 मार्च तक, लेकिन इसको 30 जून तक क्यों खिसकाना चाहता है स्टेट बैंक ? यह एक बड़ा सवाल है.
यह योजना मतदाता के ‘सूचना पाने के अधिकार’ का खुला उल्लंघन करती है
यह जानना दिलचस्प होगा कि ‘इलेक्टोरल बॉण्ड’ के ज़रिए गुमनाम चन्दादाताओं द्वारा राजनीतिक दलों को चन्दा देने की जिस घोर अपारदर्शी योजना को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्ववाली मौजूदा केन्द्र सरकार ने 29 जनवरी 2018 को शुरू किया था और जिसे पूरी तरह असंवैधानिक बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय की 5-सदस्यीय पीठ ने 15 फ़रवरी 2024 को रद्द कर दिया, क्योंकि यह योजना मतदाता के ‘सूचना पाने के अधिकार’ का खुला उल्लंघन करती है।
गुमनामी चन्दे का धन इकट्ठा करने…
इसे तत्काल प्रभाव से बन्द करने का आदेश देने के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया, जिसके पास इन इलेक्टोरल बॉण्ड को बेचने, गुमनामी चन्दे का धन इकट्ठा करने, और सम्बन्धित दल को उसके लिए, दिए गए गुमनामी चन्दे की राशि को प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया संचालित करने का एकाधिकार था, को इसके पूरे विवरण – अप्रैल 2019 से 15 फ़रवरी 2024 तक की अवधि की जानकारी निर्वाचन आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध करा देने का आदेश दिया था।
स्टेट बैंक ने सर्वोच्च न्यायालय से यह जानकारी मुहैया कराने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने का निवेदन किया है, क्योंकि उसके लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट समयावधि में यानि 15 फ़रवरी से 6 मार्च के बीच यह जानकारी दे पाना सम्भव नहीं है.
बैंक को दोगुने सूचना-सेटों को खँगालना होगा
स्टेट बैंक के मुताबिक अप्रैल 2019 से 15 फ़रवरी 2024 के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉण्ड वितरित किए गए और इनकी जानकारी दो ‘सूचना कोषों’ / सूचना-संग्रहालयों में मौजूद होने के कारण बैंक को दोगुने अर्थात 44,434 सूचना-सेटों को खँगालना होगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक स्टेट बैंक को बताना है कि 12 अप्रैल 2019 (न्यायालय के अन्तरिम आदेश) से 15 फ़रवरी 2024 (न्यायालय द्वारा दिए गए अन्तिम फ़ैसले) के बीच किन-किन तारीख़ों में इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदे गए ? उन व्यक्तियों/कम्पनियों के नाम, जिन्होंने इन्हें खरीदा और इन इलेक्टोरल बॉण्डों का मूल्यवर्ग (denomination) क्या था ?
इलेक्टोरल बॉण्डों का मूल्यवर्ग क्या था ?
बैंक को यह जानकारी भी देनी है कि सम्बन्धित-निर्धारित समय-सीमा में किन राजनीतिक दलों ने उन्हें प्राप्त इलेक्टोरल बॉण्डों का नकदीकरण/भुगतान कराया, किन तारीख़ों में यह नकदीकरण कराया और उन इलेक्टोरल बॉण्डों का मूल्यवर्ग (denomination) क्या था ? सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक स्टेट बैंक द्वारा इलेक्टोरल बॉण्ड सम्बन्धी यह सारा विवरण 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग को मुहैया करा देना था और निर्वाचन आयोग को यह सारा विवरण उसकी अपनी वेबसाइट पर 13 मार्च तक प्रकाशित कर देना था, ताकि वह सबके लिए उपलब्ध हो जाए।
यह जानकारी 2024 के आम चुनाव के इस निर्णायक दौर में कहाँ पलीता लगा सकती है….
गौरतलब है कि संसद में सरकार द्वारा दी गई हालिया सूचना के मुताबिक 2018 से 2024 की शुरुआत तक कुल 16,518 करोड़ रुपए की कीमत के इलेक्टोरल बॉण्ड बेचे (और खरीदे) गए हैं। ये इलेक्टोरल बॉण्ड 5 मूल्यवर्गों में जारी किए जाते थे – ₹1000, ₹10,000, ₹ 1,00,000, ₹ 10,00,000 और ₹ 1,00,00,000 । अब यह तो आसानी से समझा जा सकता है कि स्टेट बैंक, जिसके ये Information silos कम्प्यूटरों में ही मौजूद होंगे, पुराने ज़माने के बही-खातों में नहीं, को यह डेटा उपलब्ध कराने में 30 जून तक का समय क्यों लगनेवाला है ?
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर पहुँचकर इलेक्टोरल बॉण्ड सम्बन्धी यह जानकारी 2024 के आम चुनाव के इस निर्णायक दौर में कहाँ पलीता लगा सकती है, यह किसी से छिपा नहीं है. इसीलिए यह बैंक के ज़रिए इसे इस बहाने तब तक टाल देने की कोशिश है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!