अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्रालय ने अचानक एलान किया कि लड़कियों के सेकेंडरी स्कूल बंद रहेंगे. इससे भ्रम पैदा हो गया है. तालिबान सरकार के इस एलान के बाद तो कुछ लड़कियां रो पड़ीं.कुछ लड़कियां और उनके माता-पिता नाराज हैं. उन्होंने आखिरी वक्त में लिए गए इस फैसले के ख़िलाफ अपना गुस्सा ज़ाहिर किया है. हाई स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां इस बात से बड़ी खुश और रोमांचित थीं कि वे दोबारा स्कूल जाना शुरू करेंगीं.
यूनिफॉर्म का हवाला देकर स्कूल न खोलने के फैसले से लड़कियों के माता-पिता काफी गुस्से में है.
नोटिस में कहा गया है कि लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म तय करने के बाद ही स्कूल खोले जाएंगे. यूनिफॉर्म ”शरीयत कानून और अफगानी परंपरा” के मुताबिक होगी.लेकिन यूनिफॉर्म का हवाला देकर स्कूल न खोलने के फैसले से लड़कियों के माता-पिता काफी गुस्से में है.
अफगानिस्तान में नब्बे के दशक में तालिबान के शासन के दौरान लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगा दी गई थी. इसके बाद जब पिछले साल देश पर तालिबान का दोबारा कब्जा हुआ तो लड़कों के स्कूलों और सिर्फ लड़कियों के प्राइमरी स्कूलों को खोलने की इजाजत दी गई.
अफगान विमेन्स नेटवर्क की संस्थापक महोबा सिराज लड़कियों के स्कूलों को खोले जाने को लेकर तालिबान के यू टर्न से चकित हैं.
तालिबान प्रशासन ने कहा है कि लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म अभी तय नहीं हुई है. इसलिए स्कूल नहीं खोले जा रहे हैं.अगस्त 2021 में जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ था तो पूरे देश में स्कूल बंद कर दिए गए थे. ये स्कूल अब खुलने वाले थे लेकिन इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.
लड़कियों के सेकेंडरी स्कूलों को बुधवार को खोला जाना था. लेकिन इससे पहले ही तालिबान ने इन्हें बंद रखने का फैसला जारी कर दिया.महिला अधिकार कार्यकर्ता और अफगान विमेन्स नेटवर्क की संस्थापक महोबा सिराज लड़कियों के स्कूलों को खोले जाने को लेकर तालिबान के यू टर्न से चकित हैं.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और पाकिस्तान की महिला अधिकार कार्यकर्ता मलाला ने भी ट्वीट कर इस विषय पर अपने विचार रखे हैं. उन्होंने लिखा है- मुझे आज एक उम्मीद थी कि स्कूल जाने वाली अफ़ग़ानिस्तान की लड़कियों को वापस नहीं भेजा जाएगा. लेकिन तालिबान ने अपना वादा पूरा नहीं किया. वे लड़कियों को सीखने से रोकने के लिए बहाने ढूँढ़ते रहेंगे, क्योंकि वे शिक्षित लड़कियों और सशक्त महिलाओं से डरते हैं.
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