सरकार की मंशा धीरे-धीरे स्वप्रेरित नशाबंदी की ओर अग्रसर होना है
जिला उत्पाद अधीक्षक क्षितिज मिंज के द्वारा झारखंड सरकार द्वारा प्रकाशित गजट के आलोक में बताया गया कि राज्य सरकार की मंशा धीरे-धीरे स्वप्रेरित नशाबंदी की ओर अग्रसर होना है, क्योंकि समाज में गहराइयों तक जड़ जमा चुकी मद्यपान की कुप्रवृत्ति को केवल निरोधात्मक कानून से नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग मद्यपान एवं अन्य नशापान के कुप्रभाव से परिचित हों और पूर्ण नशाबंदी सिर्फ जागरूक, शिक्षित एवं नैतिक स्तर पर सुशिक्षित समाज में ही संभव है।
नशा-मुक्त ग्राम को “आदर्श ग्राम” सम्मान से नवाजा जाएगा
उत्पाद अधीक्षक ने बताया कि राज्य सरकार उन सभी ग्रामों को जहां पूर्णरूपेण मद्यपान निषेध सफलीभूत हो, इसको प्रोत्साहित करने के लिए ₹1,00,000/- की पुरस्कार राशि देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। यह राशि ग्राम के विकास कार्यों में खर्च की जा सकती है तथा ऐसे ग्राम को “आदर्श ग्राम” सम्मान से नवाजा जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसी भी गांव को नशा मुक्त घोषित करने के लिए उस गांव के मुखिया द्वारा संबंधित जिले के उपायुक्त अथवा जिला उत्पाद पदाधिकारी (सहायक आयुक्त उत्पाद/अधीक्षक उत्पाद) के कार्यालय में लिखित प्रतिवेदन समर्पित करना होगा, कि संबंधित गांव में मदिरापान करने वालों की संख्या ‘शुन्य’ है।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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