जमशेदपुर में लंबे समय से बनकर तैयार इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं होगी। राज्य सरकार ने इसके भवन में पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय संचालित करने का निर्णय ले लिया है। इस विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक पर विधानसभा की स्वीकृति दोबारा मिल चुकी है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद विश्वविद्यालय का संचालन शुरू हो सकेगा।
8.29 एकड़ में यह इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया गया
जमशेदपुर में सिदगोड़ा पार्क के साथ 8.29 एकड़ में यह इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया गया है। पहले इसे प्रोफेशनल सह इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित करने का प्रोजेक्ट तहत तैयार किया गया था। योजना थी कि इसे पीपीपी मोड पर किसी प्राइवेट विश्वविद्यालय के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर संचालित करने के लिए आउटसोर्स कर दिया जाएगा। इसके लिए उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से कई बार इसके लिए ईओआई जारी किया गया, लेकिन एमओयू को लेकर कई शर्तें होने के कारण किसी भी विश्वविद्यालय ने इसके संचालन में रुचि नहीं दिखाई। लगातार तीन साल इस कॉलेज के संचालन के लिए किसी भी संस्थान ने इच्छा नहीं जताई।
इस बीच इस कॉलेज को हाल में अपग्रेड हुए जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत संचालित करने की रणनीति बनी, लेकिन यह रणनीति भी अपग्रेड विवि के साथ जुड़ी शर्तों के कारण मूर्त रूप नहीं ले सकी। अब इसे जनजातीय विश्वविद्यालय के सिटी एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग के तौर पर संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि अभी इसमें यूजीसी की स्वीकृति जरूरी है। यूजीसी से इस भवन को विश्वविद्यालय के रूप में संचालित करने की स्वीकृति मिलने के बाद राज्यपाल के स्तर पर स्वीकृति प्राप्त कर इसे विधिवत रूप से पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जाएगा। गौरतलब हो कि जिस पंडित रघुनथ मुर्मू के नाम पर विवि का नाम रखा गया है, वह संताली लिपि ओलचिकी के जनक हैं।
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