
कार्यक्रम में 100 से अधिक व्यक्तियों की रही उपस्थिति
26 अप्रैल : जमशेदपुर में किशोरों, युवाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ काम कर रहे एनजीओ “पीपल फॉर चेंज” ने “प्रोजेक्ट शिक्षा” (बैंगलोर) के सहयोग से 26 अप्रैल को ट्रांसजेंडर और हाशिए पर स्थित युवाओं के लिए एक कंप्यूटर और लैब का उद्घाटन किया। यह लैब 73, न्यू बरादवारी (मदन सदन), साकची, जमशेदपुर में स्थित है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन अंजुला सी जुएंजर (निर्देशक, प्रोजेक्ट शिक्षा) ने किया, जिन्होंने सभी के लिए समावेशी शिक्षा की महत्ता पर जोर दिया, ताकि हर किसी के लिए एक सम्मानजनक भविष्य सुनिश्चित किया जा सके। इस उद्घाटन कार्यक्रम में 100 से अधिक व्यक्तियों की उत्साही उपस्थिति देखी गई, जिनमें समुदाय के सदस्य, स्टेकहोल्डर्स और शहर भर के युवा शामिल थे।
प्रोजेक्ट शिक्षा की ओर से नेहा चावला, प्रोजेक्ट शिक्षा की संस्थापक और एक पुरस्कार विजेता उद्यमी ने कार्यक्रम में भाग लिया। नेहा ने समावेशी डिजिटल और प्रौद्योगिकी शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि पिछड़े हुए समुदायों और हाशिए पर स्थित युवाओं को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।
नि:शुल्क व समावेशी प्रशिक्षण प्रदान करने का उद्देश्य
यह पहल न केवल बुनियादी डिजिटल साक्षरता और अंग्रेजी संवाद में नि:शुल्क व समावेशी प्रशिक्षण प्रदान करने का उद्देश्य रखती है, बल्कि यह जीवन यापन और व्यवसायिक कौशल के एक विस्तृत क्षेत्र में भी प्रशिक्षण देती है, जिसमें वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, पैथोलॉजी, बुजुर्ग देखभाल, कार ड्राइविंग और सेल्स और मार्केटिंग शामिल हैं। इन कोर्सों का उद्देश्य उन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और हाशिए पर स्थित युवाओं के लिए कौशल अंतर को पाटना है जो शहरी झुग्गियों और अविकसित क्षेत्रों में रहते हैं।
यह पहल 21वीं सदी की शिक्षा की बढ़ती आवश्यकता का एक जमीनी जवाब है, जो सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता को सक्षम बनाती है।
कार्यक्रम का एक सबसे प्रभावशाली क्षण तब आया जब एक ट्रांसजेंडर प्रतिभागी ने कहा,
“पहले हमारी शिक्षा के लिए कभी कोई समर्थन नहीं था, लेकिन अब, कोई हमारे भविष्य और हमारे कौशल के बारे में सोच रहा है।”
इस दिल से निकले बयान को तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा गया और यह समुदाय की इस तरह की पहलों की आवश्यकता को फिर से मजबूत किया।
कार्यक्रम की भावना को बढ़ाते हुए, एक युवा उपस्थित व्यक्ति ने उत्साह के साथ पूछा,
“हम कब से शुरू कर सकते हैं? हम इन कक्षाओं में शामिल होने के लिए बहुत उत्साहित हैं!”
इस तरह की आवाज़ों ने युवा और ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच आशा और उत्साह की भावना को व्यक्त किया, जो इस अवसर को अपनाने और एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए तैयार हैं।
यह लैब समावेशी शिक्षा और सामुदायिक सशक्तिकरण में एक मील का पत्थर है, जो यह विश्वास व्यक्त करती है कि शिक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक अधिकार है—और हर व्यक्ति को प्रगति करने का अवसर मिलना चाहिए।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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