पोटका स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय टांगराइन की ओर से बच्चाें की पढ़ाई काे लेकर नया प्रयाेग किया गया है। इसके तहत स्कूल के साथ बच्चे घर पर भी कुछ देर पढ़ाई करें, इसके लिए नुक्कड़ कक्षा की शुरुआत की गई है।
नुक्कड़ कक्षा स्कूल बंद हाेने के बाद गांव में शाम 5 से 6 बजे तक चलती है। खास बात यह है कि इसमें कक्षा काे शिक्षक नहीं, बल्कि स्कूल के ही सीनियर बच्चे संचालित करते हैं।
वैसे ताे यह कक्षा स्कूल के बच्चाें के लिए होती है, लेकिन ऐसा बच्चा जाे स्कूल छाेड़ चुका है या अभी छाेटा है और स्कूल जाने की तैयारी कर रहा है, वह भी इस कक्षा में आकर पढ़ाई कर सकता है।
इस नुक्कड़ कक्षा की मॉनिटरिंग स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा नियमित की जाती है। नुक्कड़ कक्षा में जो पढ़ाई हाेती है, उसकी जानकारी इस कक्षा काे संचालित करने वाला टीम लीडर अगले दिन प्रिंसिपल काे देता है।
नुक्कड़ कक्षा के साथ ही बच्चाें काे खेलने का भी अभ्यास हाे, इसके लिए हर टीम काे फुटबाॅल दी गई। नुक्कड़ कक्षा के बाद अथवा सप्ताह में एक दिन यह टीम फुटबॉल खेलती है। अभी नुक्कड़ कक्षा क्रमश: जाेजाेडीह, साेनाजुड़ी, डावनाटांड, टांगराइन ऊपर टाेला व टांगराइन नीचे टाेला में संचालित हाे रही है। अगले महीने तीन और जगहों पर यह कक्षा शुरू हाेगी।
इसलिए शुरू हुई नुक्कड़ कक्षा
उत्क्रमित मवि टांगराइन के प्रिंसिपल अरविंद तिवारी के अनुसार, नुक्कड़ कक्षा शुरू करने का उद्देश्य उन बच्चाें काे कक्षा से जाेड़े रखना है जाे स्कूल में अनुपस्थित रहते हैं अथवा पढ़ाई में कमजाेर हैं। इसके तहत अगर काेई बच्चा स्कूल नहीं आता है ताे वह नुक्कड़ कक्षा में जाकर स्कूल में पढ़ाए विषयाें काे सीख सकता है। इससे उसका सिलेबस अधूरा नहीं रहता है।
जाे बच्चे कमजाेर हैं, उनका रिवीजन हाे जाता है और वे विषयाें काे समझ लेते हैं। साथ ही बच्चाें में स्कूल के बाद भी पढ़ने की आदत डालना प्रमुख उद्देश्य है। अमूमन गांव के बच्चे स्कूल के बाद घर पर खेलकूद में व्यस्त रहते हैं। उनके अभिभावक भी पढ़ने के लिए नहीं बाेलते। नुक्कड़ कक्षा चलने से बच्चों को मजबूरीवश कम से कम एक घंटे पढ़ाई करनी पड़ती है, क्योंकि नुक्कड़ कक्षा में भी बच्चाें की हाजिरी चेक हाेती है।
कक्षा के ये हैं लाभ
ऐसे बच्चे जाे स्कूल कम आते हैं, वे स्कूल से जुड़े रहते हैं। जाे बच्चे पहली बार स्कूल जाने की तैयारी कर रहे हैं, वे नुक्कड़ कक्षा के माध्यम से पढ़ाई के प्रारंभिक चरण काे सीख लेते हैं। इसके जरिए बच्चाें में स्कूल के बाद घर पर पढ़ाई की आदत विकसित हाे रही है। पढाई में अच्छे बच्चाें काे टीम लीडर बनाकर सामने लाया जाता है। इससे उनका मनाेबल बढ़ता है।
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