हिन्दी महोत्सव साहित्य शिक्षा संस्कृति एवं सृजन का वैश्विक संगम : श्रीनाथ विश्वविद्यालय का अनूठा प्रयास
झारखंड के अग्रणी शैक्षणिक संस्थान श्रीनाथ विश्वविद्यालय, जमशेदपुर के भव्य परिसर में 20, 21 एवं 22 दिसंबर, 2024 को “आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी महोत्सव” का आयोजन होने जा रहा है। यह महोत्सव न केवल हिन्दी भाषा और साहित्य का उत्सव है, बल्कि यह संस्कृति, सृजन और शिक्षा के वैश्विक मंच पर हिन्दी के महत्व को स्थापित करने का एक समर्पित प्रयास भी है।
हिन्दी महोत्सव: एक प्रेरक यात्रा
यह महोत्सव आठ वर्ष पहले एक छोटे से आयोजन के रूप में शुरू हुआ था, जिसमें केवल कोल्हान क्षेत्र के नौ महाविद्यालयों के प्रतिभागी शामिल हुए थे। सीमित प्रतियोगिताओं और छोटे स्वरूप में आरंभ हुआ यह आयोजन आज झारखंड की सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। यह महोत्सव हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उसके साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए एक सशक्त मंच बन गया है। श्रीनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और प्रशासन की दूरदर्शिता और हिन्दी के प्रति समर्पण इस आयोजन की आधारशिला है। यह महोत्सव हिन्दी भाषा और उसके सृजनात्मक स्वरूप को न केवल संरक्षित कर रहा है, बल्कि उसे नई तकनीक और वैश्विक दृष्टिकोण के साथ सशक्त भी कर रहा है।
महोत्सव के उद्देश्य
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवा वर्ग को हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति से जोड़ना है। आज जब वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण क्षेत्रीय भाषाएं चुनौतियों का सामना कर रही हैं, यह महोत्सव युवाओं के बीच उनकी मातृभाषा के प्रति गर्व और आत्मीयता का भाव पैदा करता है।श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी महोत्सव हिन्दी प्रेमियों और सृजनशील व्यक्तियों के लिए एक ऐसा मंच है, जहां वे अपनी कला, कौशल और सृजनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह आयोजन न केवल हिन्दी के प्रचार-प्रसार का एक साधन है, बल्कि भाषा के प्रति लोगों के भीतर जागरूकता और गर्व का भाव उत्पन्न करता है।
तीन दिवसीय महोत्सव: एक विविधता भरा अनुभव
महोत्सव के तीन दिनों में साहित्य, प्रशासन, न्याय और कला के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के साथ संवाद और विचार-विमर्श का अनोखा अवसर मिलेगा।
पहला दिन: साहित्यिक और अकादमिक संवाद
पहले दिन दिव्या माथुर, ‘वातायन – यू.के.’ की संस्थापक और रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट्स की फ़ेलो, प्रो. कुमुद शर्मा, विभागाध्यक्ष हिन्दी, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. सदानंद शाही के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हिन्दी विभाग,बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, डॉ. प्रभाकर, प्राध्यापक हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और मोर्जुम लोयी, सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग, बिनी यांगा शासकीय महिला महाविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गौरवान्वित करेंगे।
दूसरा दिन: प्रशासनिक अनुभव
दूसरे दिन श्री रविशंकर शुक्ला, उपायुक्त, सरायकेला-खरसावां, श्री अनन्य मित्तल, उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम, श्री मुकेश कुमार लुणायत, पुलिस अधीक्षक, सरायकेला-खरसावां और श्री प्रभात कुमार, पुलिस अधीक्षक, पाकुड़, कार्यक्रम में भाग लेकर इसे और विशेष बनाएंगे।
तीसरा दिन: न्यायिक क्षेत्र की अंतर्दृष्टि
अंतिम दिन उच्च न्यायालय, झारखंड के न्यायमूर्ति श्री आनंदा सेन और सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली की अधिवक्ता श्रीमती सीमा समृद्धि कुशवाहा मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में शामिल होंगे।
प्रतियोगिताओं की विविधता
हर वर्ष की तरह इस बार भी प्रतियोगिताएं हिन्दी की सृजनात्मकता और विविधता को प्रदर्शित करेंगी। पारंपरिक प्रतिस्पर्धाओं जैसे—हास्य कवि सम्मेलन, लघु नाटिका, वाक चातुर्य और लिखो कहानी—के साथ नई प्रतिस्पर्धाओं को जोड़ा गया है। इस बार ब्लॉग लेखन, नुक्कड़ नाटक, स्टार्टअप श्रीनाथ, और लोरी लेखन जैसी प्रतियोगिताएं प्रतिभागियों को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने का मौका देंगी। विशेष रूप से, स्टार्टअप श्रीनाथ युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करेगा, जबकि ब्लॉग लेखन डिजिटल युग में हिन्दी की भूमिका को प्रोत्साहित करेगा।
तकनीक और वैश्विकता का समावेश
इस वर्ष का महोत्सव तकनीकी नवाचारों के साथ आयोजित किया जा रहा है। सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और वर्चुअल माध्यमों के जरिये देश-विदेश से हिन्दी प्रेमी महोत्सव में भाग ले सकेंगे। दुनिया भर से हिन्दी प्रेमियों द्वारा भेजे गए ऑनलाइन शुभकामना संदेश और वर्चुअल सहभागिता महोत्सव की भव्यता को और बढ़ाएंगे।
श्रीनाथ विश्वविद्यालय: हिन्दी के लिए कृतसंकल्प
झारखंड का गौरव श्रीनाथ विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि भाषा, संस्कृति और समाज के प्रति अपने दायित्व को समझने वाला एक मंच है। यह विश्वविद्यालय हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उसकी सृजनात्मकता को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
महोत्सव की तैयारियों में तीन महीने से अधिक का समय लगता है। छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सामूहिक मेहनत इसे हर वर्ष नई ऊंचाई पर ले जाती है। विश्वविद्यालय की यह पहल दर्शाती है कि कैसे एक संस्थान हिन्दी के संरक्षण और प्रगति के लिए सार्थक योगदान दे सकता है।
हिन्दी प्रेमियों के लिए आमंत्रण
“श्रीनाथ हिन्दी महोत्सव” अपनी लोकप्रियता की वजह से अब अन्तर्राष्ट्रीय श्रीनाथ हिन्दी महोत्सव बन चुका है, जो इसकी व्यापकता एवं लोकप्रियता को प्रदर्शित करता है। इसकी व्यापकता एवं विविधता में आई वृद्धि इस कार्यक्रम की सफलता तथा जन-मानस की स्वीकृति का साक्ष्य है।
“आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी महोत्सव” हिन्दी के सम्मान और गौरव को सशक्त करने का एक सामूहिक प्रयास है। श्रीनाथ विश्वविद्यालय सभी हिन्दी प्रेमियों से इस आयोजन में भाग लेने और इसे सफल बनाने की अपील करता है। आइए, हम सब मिलकर हिन्दी के इस महापर्व को और अधिक यादगार बनाएं।
प्रथम दिवस पर होने वाली प्रतियोगिताएं
हास्य कवि सम्मेलन
हास्य कविता हिन्दी साहित्य की वह विधा है, जिसे पढ़ने व सुनने में आनंद की अनुभूति होती है। इसके कई रसों का स्वादन सभी ने किसी न किसी माध्यम से किया है। यह दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाओं को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करती है, जिसमें पाठक एवं श्रोतागण स्वयं में गुदगुदी महसूस करते हैं। हास्य कवि सम्मेलन की प्रतियोगिता में प्रतिभागी अपने काव्य पाठ की क्षमता, बोलने की विशिष्ट शैली आदि का प्रदर्शन करते हैं। हास्य, व्यंग्य से जुड़ा हुआ है। व्यंग्य अपने आप में हास्य का उद्गम है । इस वर्ष हास्य कवि सम्मलेन में विभिन्न राज्यों के वेश-भूषा एवं भाषा शैली का प्रयोग प्रतिभागी अपने काव्य पाठ के दौरान करेंगे | इसके माध्यम से हमारा उद्देश्य है कि हम एक मंच पर भारत के विभिन्न प्रान्तों के परिधान एवं भाषा शैली की प्रस्तुति कर सकें |
प्रश्नोत्तरी
प्रश्नोत्तरी के माध्यम से प्रतिभागियों के हिन्दी भाषा ज्ञान, बोध, सामान्य ज्ञान और अनुप्रयोग की कुशलता का विकास करना, साथ ही हिन्दी की व्यापकता, गहनता, विशिष्ट शैली आदि की समझ विकसित करना है l दो चरणों में सम्पन्न होनेवाली इस प्रतियोगिता में हिन्दी भाषा के विभिन्न पक्षों यथा भाषा, साहित्य, संस्कृति, सृजन, संगीत के प्रति सकारात्मक अभिवृत्तियों के विकास का समर्थन करना, इस प्रतियोगिता का उद्देश्य है l द्वितीय अथवा अंतिम चरण में तकनीकी के व्यापक उपयोग द्वारा प्रतियोगिता को और भी रोचक तथा प्रभावी बनाना, आधुनिकता के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए भाषा के संरक्षण और संवर्धन का प्रयास करना, इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य है l
दीवार सज्जा
भारत की सांस्कृतिक विविधता में दीवार सज्जा के लिए चित्रकारी सामान्य रूप से परिलक्षित होती है l यह प्रतियोगिता केवल चित्रांकन ही नहीं बल्कि अपने आप में कोई न कोई सूचना शिक्षा या घटना को चित्रित करती है। दीवार सज्जा स्वयं में एक अनूठी कला है और इससे भी अनूठा है दीवार सज्जा को भारतीय साहित्य से जोड़ना या यूँ कहें सृजनात्मकता और साहित्य का संगम ही इस प्रतियोगिता का उद्देश्य है | प्रतियोगिता के माध्यम से प्रतिभागियों में कलात्मकता, रचनात्मकता, सौंदर्यबोध के साथ-साथ सांस्कृतिक संरक्षण जैसी भावना के विकास का प्रयास किया जाता है । प्रतियोगिता में पूरे भारत वर्ष के प्रांतीय/क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्यकारों की तस्वीरें दीवार पर रंगों के माध्यम से बनेंगीं |
मुद्दे हमारे – विचार आपके
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं पर चर्चा कर समाधान हेतु सामूहिक विचार-विमर्श करना है । यह कार्यक्रम संवाद को प्रोत्साहित करता है, समस्याओं की पहचान करता है और उनके व्यावहारिक समाधान तलाशने में मदद करता है । इसका मुख्य उद्देश्य समाज में विशेष रूप से युवाओं के बीच जागरूकता बढ़ाना, जनमत एकत्र करना और सामूहिक विचारों को नीति-निर्माताओं तक पहुँचा कर एक सकारात्मक दिशा तय करना है, साथ ही इस प्रतियोगिता के माध्यम से अल्प समयावधि में विद्यार्थियों में विभिन्न विचारों के लिए मस्तिष्क विप्लव होगा, जो उनके लिए लाभदायक रहेगा |
साहित्यिक कृति
भारतीय साहित्य सही मायने में एक समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति का प्रतीक है । इस प्रकार की प्रतियोगिता न केवल छात्रों के सृजनात्मकता और प्रस्तुतीकरण कौशल को बढ़ावा देगी, बल्कि उन्हें भारतीय साहित्य के महान रचनाकारों और उनकी महत्वपूर्ण कृतियों के बारे में भी अवगत कराती है | प्रतिभागियों को इस साहित्यिक यात्रा के माध्यम से भारत के विभिन्न प्रान्तों के क्षेत्रीय भाषा के साहित्यकारों और उनके समय के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को समझने का अवसर मिलेगा। यह प्रतियोगिता उनके अध्ययन को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी और भारतीय साहित्य के प्रति उनकी रुचि में बढ़ोत्तरी करेगी।
मुखड़े पर मुखड़ा
प्राचीन काल से ही चित्रों को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम बनाने में साहित्य तथा शिक्षा का विशेष योगदान रहा है | प्राचीन काल से ही कहानी हो या काव्य, चित्रकारी का उपयोग सर्वव्याप्त रहा है | बीते वर्षों में इस कला ने विविधता के कई रंग बिखेरे हैं और नवीनता के नए आयामों को प्रदर्शित किया है | इस प्रतियोगिता के सौजन्य से प्रतिभागी शिक्षा और साहित्य को समझ कर सृजन करते हैं, जिसमें सम्प्रेषण का एकमात्र माध्यम चित्रकारी ही होता है |
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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