रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, गीतिलता में सामाजिक संस्था यूथ यूनिटी फॉर वॉलंटरी एक्शन( युवा ),क्रिया एवं विमेन गेनिंग कंसोर्टियम की ओर से 14 दिसंबर को एनुअल रिथिंक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन पौधों में पानी डालकर रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन रामबचन ,युवा के संस्थापक अरविंद तिवारी, कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. कल्याणी कबीर एवं युवा की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने किया।
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इस कार्यक्रम में आदर्श सेवा संस्थान, नेहरू युवा केन्द्र, बाहा फाउंडेशन, ग्राम प्रधान, पंचायत समिति सदस्य,वार्ड सदस्य, विकलांग महिलाएं और किशोरियां, रंभा कॉलेज के विद्यार्थी आदि शामिल हुए।
*रिथिंक का उद्देश्य*
युवा की सचिव वणार्ली चक्रवर्ती ने री-थिंक कार्यक्रम के उद्देश्य को बताया कि री-थिंक का मतलब पुनर्विचार करना फिर से सोचना। कहा, “हमलोग जिस विषय पर काम कर रहे हैं, महिलाओं और लड़कियों के नेतृत्व, अधिकार और विकलांग महिलाओं के अधिकार पर और उनका स्थायित्व, पहचान समाज में हो ।लोग उनको और लोगों की तरह पहचान करें। हमलोग अभी दो विषयों पर कर रहे हैं वो है यंग वीमेन लीडरशिप और सभी महिलाओं का राजनीतिक भागीदारी। राजनीतिक भागीदारी का मतलब सबको चुनाव लड़ना नहीं है ।
चुनाव प्रक्रिया में शामिल होना एक भागीदारी तो है, लेकिन संविधान में हमें जो भी अधिकार मिले हैं, उसको पालन करने में सही दिशा देना या सहयोगी बनना।
*हालांकि पावर बड़ी चीज़ है*
महिलाएं अगर अपने अधिकार के लिए अपनी बातों को पालिसी मेकर तक या संबंधित विभाग तक या फिर संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाता है वो भी राजनीतिक भागीदारी मानते हैं, जरूरी नहीं है कि सभी लोग चुनाव लड़े , सभी लोग चुनाव जीते। हालांकि पावर बहुत बड़ी चीज है, सत्ता आनी चाहिए, लेकिन सत्ता आने से ही आप काम करेंगे या आपको अधिकार मिलेगा ऐसा नहीं है। हर क्षेत्र में सहयोग देकर आप भागीदारी निभा सकते हैं।
हमलोग हमेशा दूसरों से निर्भरता की बात करते हैं कि हमें कुछ नहीं मिला, लेकिन हम पहल कहाँ कहाँ करते हैं। पहल करने के लिए अपने अंदर जागरूकता लानी होगी। खुद को उस स्तर पर तैयार करना होगा और नेतृत्व देना है। जब आप नेतृत्व नहीं कीजियेगा, तब तक आपको निर्णायक की भूमिका नहीं मिलेगी। चाहे वह पुरुष हो या महिला। जब आप पहल कीजियेगा तभी आपको कहीं न कहीं निर्णायक की भूमिका में स्वीकार करेंगे। यह दो थिमैटिक क्षेत्र है, जिसमें हमलोग काम कर रहे हैं। पोटका के 15 पंचायत में हमलोग सघन रूप से काम कर रहे हैं।
विकलांग महिलाओं और किशोरियों को समाज से हमेशा काट कर रखा जाता है
काम करते हुए हमारे सामने जो मुद्दे सामने आये हैं, उनमें विकलांग महिलओं के मुद्दे सामने आए हैं। विकलांग महिलाओं और किशोरियों को समाज से हमेशा काट कर रखा जाता है। सामाजिक सोच के कारण उनको घर के अंदर बंद कर रखा जाता है, किसी भी सामाजिक अनुष्ठान में उनको नहीं ले जाया जाता है, न ही समाज में उनकी कोई पहचान है। हमलोग इतने लोगों से मिले हैं, विकलांग किशोरियों और महिलाओं से बात की तो पता चला कि हमलोग ऐसे हैं, जिनके साथ ये खुलकर बात कर पायी है।
समाज में वैसे भी महिलाओं का दर्ज़ा दोयम है
हिंसा तो इनके साथ बहुत है। समाज में महिलाओं का दर्जा ऐसे भी कम है, लेकिन विकलांग महिलाओं का दर्जा और भी कम है, समाज में इन्हें कोई पहचानता नही। इनको भी उतना ही अधिकार और आजादी मिलनी चाहिए, जितनी बाकियों को मिलती है।
शौक उनके भी हैं, लेकिन…
जब हमलोग उनसे मिलने जा रहे हैं, तो पता चला कि उन्हें बिंदी लगाने का, ठेले पर गोलगप्पा खाने का बहुत शौक है, कपड़े पहनने का शौक है,लेकिन उन्हें हमेशा सबसे आखिर में दिया जाता है। ये सब बहुत छोटी-छोटी चीज है। हमलोग अनदेखा कर देते हैं ।
हिंसा हमेशा मारपीट करना नहीं होता
हिंसा हमेशा मारपीट करना नहीं होता, हिंसा यह भी होता है, जहाँ पर समानता से परे उनको देखा जाता है। समानता जहां उसके साथ नहीं करते हैं। महिलाओं के साथ भी, विकलांग महिलाओं के साथ भी चाहे वो स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो या शिक्षा के क्षेत्र में हो या चाहे आजीविका के क्षेत्र में हो, चाहे इसके पसंद नापसंद के क्षेत्र में हो ।
कार्यक्रम का यह उद्देश्य
इस कार्यक्रम का यह उद्देश्य है इतनी सारी सामाजिक योजनाएं बनी हैं, फिर भी क्यों वो साथी जो पीछे हैं, उन तक सारी चीजें क्यों नहीं पहुंच रही हैं ? यह सोचने की जरुरत है. बार-बार सोचने की जरूरत है।
यहाँ से एक रास्ता निकलता है
आज इस कॉलेज में यह कार्यक्रम का मकसद है कि आपलोग आने वाले समय के पालिसी मेकर हैं, आने वाले समय के दिशा बदलने वाले हैं। वर्कशॉप या सेमिनार इसलिए होता है कि एक इनफार्मेशन कलेक्ट किया जा सकता है, नया काम करने के लिए, उत्साह वर्धक बनाने के लिए, आपको आगे आने के लिए। एक संगठन के रूप में लोग मिल सकते हैं ।दूसरा यह है कि अगर आप कुछ सोच रहे हैं करने का, तो यहाँ से एक रास्ता निकलता है कि हम यह काम कर सकते हैं। री-थिंक यही है कि सारी चीजों को लेकर बदलाव क्यों नहीं हुआ, उसकी जड़ तक पहुंचना।
रंभा कॉलेज के चेयरमैन राम वचन सिंह ने कहा कि यह मुहिम बहुत ही सराहनीय है विकलांगों के लिए, महिलाओं के लिए । इसमें भागीदारी सभी बच्चों को लेनी चाहिए।
समाज के हर वर्ग का ख्याल रखें-अरविंद तिवारी
युवा के संस्थापक अरविंद तिवारी ने कॉलेज के सभी साथियों का अभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम आपको अपने जीवन का दूसरा पक्ष देखने समझने के लिए विस्तार से आपको तैयार करता है। आप जब अच्छे प्रबंधक बनें, अच्छे शिक्षक बने, तो समाज के हर वर्ग का ख्याल रख सकें। सभी के साथ सहानुभूति का नहीं, समानुभूति का व्यवहार रखना है।
सराहनीय काम-डॉ. कल्याणी कबीर
कॉलेज की प्राचार्या डॉ. कल्याणी कबीर ने कहा, “यह बहुत ही सराहनीय काम है। विकलांग जनों की खुशी को बरकरार रखने के लिए छोटे-छोटे प्रयास किये गए तो उनके लिए यह गाना – किसी की मुस्कुराहट पर जान निसार, जीना इसी का तो नाम है। हम सभी आपके साथ हैं।”
झारखंड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरुण सिंह ने विकलांगता अधिकार अधिनियम पर सत्र लिया, जिसमें उन्होंने निशक्त व्यक्ति के प्रति होने वाली हिंसा के बारे में जानकारी दी एवं उनके क्या अधिकार हैं, इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक विकलांग व्यक्ति को भी सामान्य व्यक्ति की तरह गरिमा पूर्ण समानता के साथ जीवन जीने का अधिकार है। विकलांग व्यक्तियों की पहुंच उच्च शिक्षा तक नहीं हो पाती है, क्योंकि बुनियादी ढाँचा उनके पहुंच के अनुकूल नहीं होता है उन्होंने कहा, “इस विषय पर हमें पुनर्विचार करने की जरूरत है और कानूनी पैरवी तक अपनी बातों को ले जाने की जरूरत है।”
साथी खेल के माध्यम से आंखों में पट्टी बांधकर उन्होंने यह समझाने का प्रयास किया कि किस तरह से विकलांग साथी सबके बीच में कितनी चुनौतियों के साथ रहकर अपने जीवन को व्यतीत करते हैं और किस तरह से अपनी पहुंच को वहां तक नहीं बना पाते हैं ।
इसमें रंभा कॉलेज के छात्रों ने भागीदारी निभाई और अपने अनुभव साझा किए। घरेलु हिंसा पर मूवी दिखाई गई। पूरे कार्यक्रम का संचालन विमेन गेनिंग ग्राउंड की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर अंजना देवगम के द्वारा किया गया ।
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