बिहार में शिक्षकों की भारी कमी है ये सभी जानते हैं. आंकड़ों के मुताबिक़ पहली से 12वीं कक्षा तक स्कूलों में 3.15 लाख शिक्षकों के पद ख़ाली हैं. इसका असर ये है कि 3,276 प्रारंभिक स्कूल केवल एक-एक और 12,507 स्कूल केवल दो-दो शिक्षकों के भरोसे हैं.शिक्षकों की भारी क़िल्लत के बीच बार-बार सरकार की ओर से दिया जा रहा ग़ैर शैक्षणिक आदेश बिहार की स्कूली शिक्षा व्यवस्था को और भी ख़राब हालत में पहुंचा सकता है.बिहार में छात्रों का आंदोलन अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि सरकार की ओर से शराबबंदी से जुड़ा आदेश, शिक्षकों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रहा है.
प्राथमिक, माध्यमिक समेत सभी स्कूलों के शिक्षक अपने आस-पास शराब पीने वाले और शराब बेचने वालों की सूचना सरकारी अधिकारियों को देंगे.
बिहार शिक्षा विभाग के नए निर्देश के मुताबिक़ शिक्षक गण चोरी छिपे शराब पीने वालों या शराब बेचने वालों की सूचना मद्यनिषेध विभाग के मोबाइल नंबर पर देंगे, जिनकी जानकारी गुप्त रखी जाएगी.सरकारी चिट्ठी में कहा गया है कि प्राथमिक, माध्यमिक समेत सभी स्कूलों के शिक्षक अपने आस-पास शराब पीने वाले और शराब बेचने वालों की सूचना सरकारी अधिकारियों को देंगे.इसके लिए फ़ोन नंबर भी जारी किए गए हैं जिसमें दो मोबाइल नंबर दिए गए हैं और दो टोल फ़्री नंबर भी. इस मामले को लेकर शिक्षक नाराज़ हैं और उन्होंने बिहार में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी किया है.
हालांकि सरकार का कहना है कि शराबबंदी को सफल बनाने के लिए शिक्षकों से सिर्फ़ अपील की गई है.सहरसा ज़िले में बिहरा क्षेत्र के सेवाश्रम पटोरी की शिक्षिका अंजू महतो कहती हैं, “आपको पता है बिहार में कितने आरटीआई ऐक्टिविस्टों की मौत की ख़बरें आती हैं. सरकार अब यही काम शिक्षकों को दे रही है. बस सरकारी आदेश में लिखा है कि जानकारी देने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा, लेकिन बहुत आसानी से बड़े-बड़े कार्यालय से नाम लीक हो जाते हैं. इससे उनकी हत्या तक हो जाती है. तो क्या गारंटी है कि शिक्षकों का नाम लीक नहीं होगा?”
शिक्षकों को शराब पीने और बेचने वालों को चिन्हित करने के साथ इसकी सूचना देने से संबंधित शिक्षा विभाग का आदेश तुग़लकी फ़रमान है.
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश संयोजक राजू सिंह सरकार के इस आदेश का विरोध किया है और कहा “पढ़ाने की जगह शिक्षकों को कोरोना काल में क्वारंटीन सेंटर में दवा बांटने और खुले में शौच रोकने के लिए कहा जाता है. इस बार का निर्णय तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और हास्यास्पद है. अगर सरकार ये आदेश शीघ्र वापस नहीं लेती है तो हम आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.”वहीं टीईटी शिक्षक संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम कहते हैं, “शिक्षकों को शराब पीने और बेचने वालों को चिन्हित करने के साथ इसकी सूचना देने से संबंधित शिक्षा विभाग का आदेश तुग़लकी फ़रमान है.
शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया के सामने सफ़ाई देते हुए कहा कि, “शिक्षकों को शराब पकड़ने के लिए कोई टारगेट नहीं दिया गया है. बस शराबबंदी को सफल बनाने के लिए शिक्षकों से अपील की गई है. ये सब अनावश्यक का भ्रम उत्पन्न किया जा रहा है. बिहार सरकार के द्वारा शिक्षकों को दिया गया यह पहला काम नहीं है जिसका विरोध हो रहा है. इससे पहले बिहार में खुले में शौच करने वालों को खोजने और रोकने का काम भी सरकारी शिक्षकों को सौंपा गया था, जिसकी काफ़ी आलोचना हुई थी.
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