शिक्षा विभाग की बदहाली की मार झेल रहे सरकारी स्कूल के बच्चें अब अपने को ठगा महसूस कर रहे है। इनके लिए किसी के पास सोचने का वक्त नहीं है। गुड़ाबांदा प्रखंड के अंगारपाड़ा पंचायत के पुनसिया गांव स्थित पुनसिया प्राथमिक विद्यालय के बच्चे फूस की झोपड़ी में पढ़ने को विवश है। इस स्कूल के बच्चों की पीड़ा यहां के पदाधिकारी तथा जनप्रतिनिधि नहीं समझ पा रहे हैं। जब कोरोना काल के बाद फरवरी -मार्च में स्कूल खुले तो स्कूल भवन के अंदर बाहर बैठ कर पढ़ना नामुमकिन से हो गया था।
भवन इतनी जर्जर हो गई थी कि शिक्षक अभिभावक सोच में पड़ गए कि क्या करे। छत का प्लास्टर हर दिन टूट कर गिर रहा था बच्चों की जान पर बनाई थी। फिर विभाग को पत्राचार हुआ लेकिन कोई फायदा नही होने से शिक्षक एवं अभिभावकों ने कुछ स्कूल के फंड कुछ सहयोग कर 30 बाई 20 की झोपड़ी बनाकर स्कूल शुरू किया। स्कूल में दो शिक्षक सरकारी है ।
यहाँ के शिक्षक व बच्चे मिसाल
भवेश चंद्र बेरा एवं बिरेन माझी। दोनों इस सिस्टम से परेशान होकर आखिर दो ब्लैक बोर्ड लगाकर एक से पांच तक कि पढ़ाई करते है। हमारे पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि थोड़ी बारिश होने से निकलना पसंद नही करते है। पर यहाँ के शिक्षक व बच्चे मिसाल है क्या बारिश क्या आंधी सभी को शिक्षा की दीप जलाने के लिए मुश्किलों को पार कर लिया। सांप बिच्छु आदि को भी मात दे दी। यह एक ऐसा विद्यालय तक बहरागोड़ा के क्षेत्र का स्कूल है जहाँ शौचालय तक नही और किचन शेड तक नहीं है। जर्जर स्कूल के एक छोटे से हिस्से में बच्चों की एमडीएम बनती है। अब बच्चों को ठंड की चिंता होने लगी पर हमारे जनप्रतिनिधियों को शायद इस स्कूल की चिंता और 51 बच्चे की भविष्य की चिंता तनिक भी नहीं है।
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