अगर आप भारत में रह रहे हैं और ये सोच रहे हैं कि यहाँ से 5 हजार किलोमीटर दूर, रूस-यूक्रेन के बीच जो कुछ चल रहा है उसका असर भारत पर नहीं होगा, तो ऐसा भी नहीं है. वहाँ के घटनाक्रम से भारतीय अछूते नहीं रह सकते. इसका असर भारत पर क्या हो सकता है, यह जरुर जाने.
भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता भी है और भारत के काफ़ी नागरिक इन दोनों देशों में रहते हैं. यूक्रेन में ज़्यादातर लोग पढ़ने जाते हैं. वही रूस में पढ़ाई के साथ-साथ कई भारतीय नौकरी के लिए भी जाते हैं.दोनों देशों के बीच आपसी तनाव की वजह से आपके और हमारे घर का बजट तक गड़बड़ा सकता है. तक़रीबन 14 हज़ार भारतीय रूस में रहते हैं. जिसमें से तक़रीबन 5 हज़ार छात्र हैं जो मेडिकल और दूसरे टेक्निकल कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं.
मेडिकल की पढ़ाई यूक्रेन में भारत के मुकाबले आधे से भी कम ख़र्च पर हो जाती है.
इसके अलावा 500 बिजनेसमैन हैं जो चाय, कॉफी, चावल, मसाले के व्यापार से जुड़े हैं. भारत से यूक्रेन जाने वालों में सर्वाधिक संख्या छात्रों की है. इनमें ज़्यादातर डॉक्टरी की पढ़ाई करने यूक्रेन जाते हैं.ऐसे लोगों की तादाद तक़रीबन18 से 20 हज़ार बताईजा रही है.मेडिकल की पढ़ाई यूक्रेन में भारत के मुकाबले आधे से भी कम ख़र्च पर हो जाती है. इस वजह से छात्र वहाँ जाकर पढ़ने के विकल्प को चुनते हैं.
दरअसल दुनिया में तेल के तीन सबसे बड़े उत्पादक देश – सऊदी अरब, रूस और अमेरिका हैं. दुनिया के तेल का 12 फ़ीसदी रूस में, 12 फ़ीसदी सऊदी अरब में और 16-18 फ़ीसदी उत्पादन अमेरिका में होता है. तो जाहिर है इससे तेल की सप्लाई विश्व भर में प्रभावित होगी. ये युद्ध की आशंका ही तेल की कीमतें बढ़ने के पीछे की सबसे बड़ी वजह है.
भारत की कुल ईंधन खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत है और इस 6 फ़ीसदी का 56 फ़ीसदी, भारत आयात करता है.
एक अनुमान के मुताबिक़ कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर 8000-10,000 करोड़ का बोझ बढ़ जाता है. जाहिर है, इसका असर आपकी जेब पर सीधे पड़ेगा.भारत की कुल ईंधन खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत है और इस 6 फ़ीसदी का 56 फ़ीसदी, भारत आयात करता है.ये आयात मुख्यत: क़तर, रूस,ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे जैसे देशों से होता है.
रूस-यूक्रेन संकट के बीच एलएनजी की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. रूस, पश्चिम यूरोप प्राकृतिक गैस का बड़ा निर्यातक है. इसी क्षेत्र में सारी पाइप लाइन बिछी हुई हैं. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए आशंका है कि बमबारी ना शुरू हो जाए, सप्लाई बाधित ना हो जाए. इसी आशंका की वजह से एलएनजी की कीमतें बढ़ रही है.
रूस, पश्चिम यूरोप प्राकृतिक गैस का बड़ा निर्यातक है. इसी क्षेत्र में सारी पाइप लाइन बिछी हुई हैं.
तेल और नेचुरल गैस के बाद इस संकट का तीसरा बड़ा असर खाद्य तेल पर पड़ सकता है.यूक्रेन, विश्व का सबसे बड़ा रिफ़ाइन्ड सूरजमुखी के तेल का निर्यातक देश है. दूसरे स्थान पर रूस है. इसके अलावा यूक्रेन से भारत फर्टिलाइज़र भी बड़ी मात्रा में ख़रीदता है. भारतीय नेवी के इस्तेमाल के लिए कुछ टर्बाइन भी यूक्रेन भारत को बेचता है.
ऐसे हालात में शिपिंग इंश्योरेंस की कीमतें भी बढ़ जाती है, जिनका असर भी आयात और निर्यात होने वाले सामान की कीमतों पर पड़ता है. ऐसा तब होता है जब समुद्री जहाज़ उन तनाव युक्त क्षेत्रों के समुद्री रास्ते में पड़ता हो या फिर उन देशों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हों.
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